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( ४४ ) मयण कुवर वलिवंतउ जाणि, चंद्र सिधासणु प्राप्पउ पाणि। नागसेज वीणा पावडी, विद्या तीनि आणि सो धरी ॥२०॥ सेनाकरी गेह-कारणी, नागपासि विद्या-तारणो । इनडो लाभ तिहा तिह भयो, फुरिण सो नाण सरोवर गर्यो ।।२७४॥ न्हात देखि धाए रखवाल, कवरण पुरिषु तू चाहिउ काल । जो सुर राखि सरोवरू रहिउ, तिहि जल न्हाइ कवण तू काउ।।२०५॥ तवइ वीर बोलइ प्रजलेइ, पावत वज्र झेलि को लेइ । जै विसहर मुह घालै हत्थ, सो मोसहु जुझणह समत्थ ॥२०६ तव रखवाले मिलइ साग, विषमु बीरू यह नाही मान । उपरा उपरू करइ मुह चाहि, मयरधउ बरू अप्पहि प्राणि ।।२०७॥
(२०३) १. बिय (ग) २. दोघउ (क) प्राफिर (ख) ३. नाग, पाशि (क) ४. प्राई (क) ५. तिनि (क) लिहि (ख ग)
(२०४) १. सनारी (क) सेना कारणी (ख) २. एवढंउ क) चउत्तु (ख) इतना (म) ३. श्री क) ते (ग) ४, न्हाण (क.ख,ग)।
. (२०५) १. प्राये (क) प्रापा (ग) २. पियो (क) धापिउ (अ) चल्यो (ग) ३. कालि (क) अकाल (ग) ४. भरिउ (ख) ५. सो (क) ६. सरि (क) ७. न्हाण (क ख) ८. तुह (क ) ६. यथउ (क) कहिउ (ख)
ग प्रति में ३-४ चरण नहीं है ।
(२०६) १. प्रजलेइ (क) पगलेइ (ख) इतने सूणत मयण परजलेइल (ग) २. पाक्त तुझु झाडिय करि लेह (क) प्रयतु बजु झलिय को लेइ (ब) पावतु बालि झकोलवि बाल्यो (ग) ३. जो (क) तव (ख) ४. हमसे या (क) ५. नहि भूक करण (क) ६. मूलपाठ हाथ भोर समय
(२०७) १. रखवाल (क) २. मिलियर' प्रवशाणि (क) मिलवाहिसपनु (ख) घोलप ३, हम (क) इहू (ख ग) ४. जारा कवरण (ख) सानि (ग) ५. रूपु (ख) ६. कहहि (क,ख) कर (ग) ७. मयरधा (क) मगर (ख) महराष्य (ग) प्र. पर (क) बलु (ग) ६. प्राफहि माह (क) आफहि ताहि (ख ग)