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1 काल गुफा कहिए तसु नामु, कालासुर दैयतु तहि ठाउ । । पूरव चरितु न मेटइ कवणु, तिहि सिंह जाइ भिरइ परदवणु ।।१९८॥
हाकि कुवर धर पाडिउ सोइ, हाथ जोडी फुणि ठाढो होइ ।
परिशु देखि हियइ अहि डरइ, छत्र चवर ले प्रागइ धरइ ।।१६६।। | वसुणंदउ माफइ विहसाइ, हुइ किंकर फुणि लागइ पाइ। | फुरिण सो मयणु अगुह्डो चलइ, तीजी गुफा आइ पइसरइ ॥२०॥ | नाग गुफा दीठी वर वीर, अति निहालिउ साहस धीरू ।
विषमु नागु घणघोर करत, सो तिहि प्राइ भिडिउ मयमंतु ॥२०१॥ । तव मयण मन करइ उपाउ, गहि विसहर भान्यउ भरिवाउ । ! देखि अतुल बल संक्यो सोइ, हाथ जोडि फुरिण उभी होइ ॥२०२॥
(१९८) १. सुहनारिण (क) तिह् नांव (ख) २. काल सरोवग (क) कालु । संभु (ग) ३. देखो (फ) दोन्हड़ (ग) ४. ठारिण (क) द्वाउ (ग) ५. रचित (क) वित. : (ग) ६. तिन ठा (क) तिहि साह (स) तिन्हस्थो (ग) ७. भिडद (क) भिडिउ (ख) लाश (ग)
(१९८) १. होक्या (ग) २. सो (क) पछा (ग) ३. पाडा (क) पक्ष्या (ग) ४, चिरिण (क) सो (ग) ५. पौरिष (क) परिषु (ख) पउरषु (ग) ६. प्रति उरण (क) गहबरइ (ग) ७. छन्नू (ग) छत् (ख)
(२००) १. लागा (ग) २. ते (क) (ग) '. धागउ घलइ (क) तौ । अंगहा सरह (ग) ४. जाइ (ग) ५. संचरह (क)
(२०१) १. वेढो (क) जयदीठो (ख) २. योरि (ख) ३. धृत (क) पइतु (ख) रूप (ग) ४. निकलउ (क) निहाली (ग) ५. धुरधरंत (क)
(२०२) १. तबही (क ग) २. करइ (क) बहकिया (ग) ३. अब (क) तहि (ख) ४. भानो (क) भानङ (ख,ग) ५. प्रतिवरु (ग) ६, संकिङ (क ख) संवयां ७. लोह (ग) ८. फरिविनय सोइ (क) सो ऊभा होइ (ग)