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________________ व रावत काढइ करवाल, वरिसहि वारण मेध असराल । डइ सुहड करि असिवर लेइ, रह चूरइ मइगल पहरेइ ॥१७॥ मैगल सिंह मंगल प्रा भिडइ, हैवर स्याँ हैवर पा भिडइ । पचावयु जूझू तहि भयउ, गीध मसाण तहा उठीयउ ॥१८०।। सैयन जूझि परीधर जाम, दोउ वीर भीरे रण ताम । दोइ वीर खरे सपरा, शोह करह धि जिन गाए ॥८॥ मलु जूझते दोउ भीडइ, दोउ वीर अखाडो करहि। . हारिउ सिंह गयउ भरिवाउ, वांधिउ मयण गले दे पाउ 11१८२॥ वस्तुबंध-जवहि जित्यउ कुवर परददरगु सुर देखइ ऊपर भए, वंधि स्यंघरहु कुमर चल्लिउ । 1 मयणु सुगुरगु सधेहि बुल्लिउ, तव सज्जरण पारणंदियउ ।। देखि राउ प्राणंदियउ, तू सिंवि कीयउ पसाउ । महु णंदण जे पंच-सय, तिहि उपर तू राव ॥१८३।। चौपाई भयरण चरितु निसुरिण सबु कोइ, सोला लाभ परापति होइ । (१७६) १. करि ले (ग) २. प्रसराल (क ख ग) ३. कुमर (ख) ४. रसवर परमा गल विरेह (क) तीसरा और चौथा चरण ग प्रति में नहीं है। (१६०) १. स्यो (क, ग) २. रण (ग) ३. रहबर (ख ग) पाहक (क) १.सिज (स) ५. संचडिज (ख) तुलि चढ़ (ग) .यवर सेती हयवर सार (क) पावर (ख) पंचवरसु (ग) ७. जब (ख) ८. गिर (ख) गर्भ (ग) ९. उठि गयड (ख) उकि करि गयउ (ग) (क) इणि सूझ करत बडबार (क) (१८१) १. सेना (कन) सैन्या (ग) २. रणि (ग) ३. बहरी (ग) . (१६२ १. मारन (क) माल (ख,ग) २. राउ (ग) ३. बंधि (ग) = ४. गलि (ग) (१३) १. जाम (ख) २. अचिरज (क) ग प्रति--जदकीयो तव सरि सहि ३. वांषि (ख ग) ४. ठिवि (ख) ५. बह (ख) - (१८४) १. सोलह (क ख ग) २. देवा पड घरग सो वन जपर हमोह पति - सिंघरचु धरि गयउ (यह पाठ के प्रति में है) ग प्रति में इस छन्द का पूरा पाठ नहीं है।
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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