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________________ (४७५) तैयार हो ! तैयार हो ! इस प्रकार का चारों ओर कहला दिया। यदुराज श्रीकृष्ण तैयार हो गये । घोड़ों को सजाओ, मस्त हाथियों को तैयार करो तथा मुभट सुसज्जित हो जाओ ! अाज रण में भिडना होगा । ऐसा आदेश दिया। (४७६) आज्ञा मिलते ही सुभट रण को चल दिये । ठः ठः चारों ओर ये शन्द करने लगे, किसी ने हाथ में तलवार तथा किसी ने हथियार सजाये । युद्ध की तैयारी का वर्णन (४७७) कितनों ही मदोन्मत्त हाथी चिंघाड़ रहे थे। कितने ही सुभट तैयार हो कर रण करने चढ़ गये । कितनों ने घोड़ों पर जीन रख दी और कितनों ने अपने इथियार संभाल लिये । (४७८) कितने ही ने युद्ध करने के लिये 'टाटण' ले लिये। कितनों ही ने अपने सिरों पर टोप पहिन लिये । कितनों ही ने शरीर में कवच धारण कर लिया और इस प्रकार वे सब राजा सजधज के चले । (४७६) किसी ने हाथ में भाला सजा लिया और कोई सान पर चढी हुई तलवार लेकर निकला । किसी ने अपने हाथों में सेल ले लिया और किसी ने कमर में छुरी बांध ली। (४८०) कुछ लोग बात समझा कर कहने लगे कि क्या इन सुभटों को वायु लग गयी है । जिसने रुक्मिणी को हरा है वह मनुष्य तुम्हारे स्तर का नहीं है। (४१) एक ही स्थान पर सब क्षत्रिय मिल गये और घटाटोप ( मेघ जैसे) होकर युद्ध के लिए चले । तुमछ बुद्धि से उपाय मत करो अब । यह मरने का दाव पा गया है । (४२) शीघ्र ही चतुरंगिनी सेना वहां मिल गयी। यहां घोडे, हाथी, रथ और पैदल सेना थी। अप्रमाण छत्र एवं मुकुट दिखने लगे तथा श्राकाश में विमान चलने लगे। . (४८३) इस प्रकार ऐसी असंख्यात सेना चली और चारों ओर खूब नगाड़े बजने लगे । घोड़ों के खुरों से जो धूल उछली उमसे ऐसा लगता था मानों तत्काल के भादों के मेघ ही हों।
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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