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(३०१) महिलाओं ने कहा कि हमारी बात सुनो तुम कौनसी चड़ी यस्तु मांगले हो । धन सम्पत्ति सोना जो चाहे माले लो और हमको आगे जाने दो।
(३४२) भील ने क्रोधित होकर उनको जाने दिया तथा कहा कि से जाने से क्या लाभ है। जो भली अन्तु तुम्हारे पाप है. वही मुझे दे दा और आगे बढो।
(३०३) तब महिलाओं ने उसका मुंह देख कर कहा कि एक कुमारी जो हमारे पास है उसका तो इरि के पुत्र भानु से सगाई कर दी गयी है। अरे मोल ! नुम और क्या मांग रहे हो।
(३.१) उस भील वीर ने कहा यही (कुमारी) मुझे दे दो जिससे मैं आगे तुमको मार्ग दू । महिलाओं ने क्रोधित होकर कहा कि अरे भोल यह कहना तुझे उचित नहीं है।
१३०५) महिलाओं के वाक्यों को सुनकर विचार करके कहने लगा कि मैं नारायण का पुत्र इन बानयों में तुम सन्देह मत करो और उदधि माला को मुझे दे दो।
(३०६) महिला ने कहा कि हे नटखट तुम झूठ बोलने में बहुत आगे हो । जो तीन खंड पुत्री का राजा है, क्या उसके पुत्र का ऐसा भेप होता है ?
(३०५) तब वे सीधे मार्ग को छोड़कर टेढ़े मेढे मार्ग से चले तो उधर भी दो कोडी (४०) भील मिल गये । सधाम कवि कहता है कि तब भील ने कहा कि यदि मैं कन्या को बल पूर्वक छीन लू तो मेरा दोष मत समझना ।
प्रद्य म्न द्वारा उदधिमाला को यलपूर्वक छीन लेना (३७५) तब उसने कुमारी को छीन लिया और मुड करके विमान पर मा गया | भील को देखकर वह कुमारी मन में बहुत इरी और करुण विलाप करने जगो।
(३०६.) पहिले मेरी प्रशम्न के माथ नगाई हुई फिर भानुकुमार के साथ विवाह करने के लिये चज्ञो । ई नारद मेरी बात सुनो अब मैं भील के हाथ पड़ी हूँ।