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________________ 1 ( १२६ ) मइ जाण्योउ मुहि भायउ प्रहइ, एसी बात निचू भउ कहई । मानद होइ, एसी बात कहइ न कोइ ||६३३ विषयवासि निसुरिण वयण परदवनु रिसाइ, हीरणु वयरण तह बोलइ माइ । रूपचंदुरा जिलहु पचारि, पारण रूप छलि पराउ नारि ॥ ६३ प्रद्युम्न का कुंडलपुर को प्रस्थान केंद्रप बुद्धि करी तंखीणी, सुमिरी विद्या बहुरूपिणी । १ संबु कुवरु परदमनु भयउ, पवण वेगु कुंडलपुर गयउ ॥६३ दोनों का डोम का वेष धारण कर लेना दीठउ नयरु दुवारे गयज, डोम रूप दोउ जण भयउ । २ 3 मयण अलावरिण करण पठए, सामकुमार मंजीरा लए ॥ ६३ फिरे बोर चोहठें महारि, उभे भये जाइ सीहवारि । २ वहु परिवार सिउ दीठउ राउ, तर केंद्रपु करह ब्रह्माउ ॥ ६३ (६३३) १. नीच ( क ) नील स्पों ( ग ) २. विष्कु सिंघास रिण ( Facea सिरिश (ख) किम चम सुरिंग बोलइ सोइ ( ग ) ( ६३४) १. पवनवेग ( ग ) (६३५) १. संयु कुवर परचम भयो (क) संघ कुषारि कुबरु हुए भए मूल प्रति में 'स्वामी' पाठ है । (६३६) १- द्वारि आइए (ग) २. करि पाठए ( क, ख ) कहि यो ३. संबु कुरि ( ग ) (६३७) सीह कुवारि ( ग ) सीह कुवारि ( क ) २. परिवर ( m ) ofenzena' ( « )
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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