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________________ (te) रणभूमि में नारद का आगमन याद रोष्य उत्तर | रण मयरद्ध नारायण जहा नारदु जाइ सपत्तउ तहा ||५४४|| १ विस्तु मयरा रथ दीठउ पाउ, चाहे करण कुवर कहु घाउ । रूपिणि वापर सोभरद हो तो ܕ नानारिषि पर पहुंतो जाइ, वाह पकरि सो धरघो रहाइ ॥ ५४५|| नारद द्वारा प्रद्युम्न का परिचय देना ५ तब हसि नारद लागो कहर, मोहि वचन निसुराह महमहरपु । कहे तो कह वहुतु यह प्रदवरण तिहारो पूतु ॥ ५४६|| छठी निसिहि सो हरि लयउ. कालसंवर घर वृद्धिहि भयउ । इहि जीत्यो स्पंघरथ पचारि, पुनवंत यह देव मुरारि || ५४७ || सोला लाभ भए इहि जोगु करण्यमाल सिउभयउ विजोगु । कालसंवरजीत्यो तिहि ठाइ, पंद्रह वरिस मिली तुह श्राइ ॥ ५४८६ ॥ १ यह सु मयर गस्वो वरवीर, रण संग्राम जु साहस धीर । 9 २ या परिषको वई घरउ, यह सो पूत रूकिमिणी तर उ || ५४६| (५४४) १. रूपिणि वयाहि तब बाहुहि वेगा रथ ते उतरहि (ग) ( ५४५) १. नराणि रथि दोना पाउ ( ग ) २. लोडड (ग) तीसरा और चौथा चरण ग प्रति में नहीं है ( ५४६) १. क्या क्या हो तुम्हसउ २. तुम्हारा (५४७) १. सिंघरथराज (ग) २. पुण्यवंत ( ग ) (५४८८) १. बारह ( ग ) मूलप्रति में - तो लाल' पाठ है ( ५४६) १. रहि (ख) इसु (ग) २. बाई (ख) वड (ग) मूल प्रति में पड पाठ है ।
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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