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रिशुलीग उजोषिया पसी, पिति गणेणा-अहो !! दीपपपरिग्गडो पि अस्थि आपरियाणं, मगायो गरुममी, साहितीपो. विरा अमेण अप्पणा संथारमो, गुरुणा वि उपसपिओ भंगुरुिपईयो । जाप ५ तमधवारे मषिमो मुखणा, कहा- मादोकामियोमे पयसादियाए पसहिए डापा शिरेख यति, समोसजिओ गीमो। एरपतरे समागया देशपा, सासिमी
| पाय ही दिनभिपपिप गुरुम भिण्डामि दुबई, परिष पायहि तिमाथार्थः॥१०॥
पानीदोष अपाढीस्पकरणोध्यायमामाह
निरूपणम्। णि श्री दुर भजन स्नानं 'मण्डनं षिभूषा 'क्रीसापन' रमणे '' उस पतदिन 15 जापानीका स्वमन्यामारकारपिस्वा वा पकादि सभसे यतिः स पात्रीपिजति गाथा॥१०॥
ल्याइपमारकी मिहो संदेसं, पर जबलपरग्गामेरालाइलिंगजीवी, स इपिंडो अणायफलो ६१
पाण्या-कापिया निश्चम-मिथस्सादे स्परसन्दिशा, विविक्षिरमिस्वार-प्रबर्ट प्रमामा
संपाविल्याह-सपरग्गामेर चिनिवासमात्रापेषणा सायोगारमीयः परमपर wwीती 'प्रामौलभिशास्तिो सपरणामी, समोसा स्वमाने परनामे का भिक्षा प्रजन साधुर्माना अम्बन्धि जोशीपा भाराविहिनषा अभ्यासावि दुरपयसाम दुविधादेस्सषेप निषेदयति, पथा-सा मावा भामणवीस्वादिसण्यासदाधिमापायी साधुतीयमा स्पायनाकामप्यगारीणी |
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सल्ला
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