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________________ पक्मणसारो [ १५१ उससे परिणमन करता हुआ (सयमेव) स्वयं ही (सुहं) इन्द्रिय सुखरूप हो जाता है, या परिणमन कर जाता है, तथा (देहो ण हवि) शरीर अचेतन होने से सुख रूप नहीं होता है। यहाँ यह अर्थ है कि कर्मों के आवरण से मैले संसारी जीवों के जो इन्द्रियसुख का होता है वहाँ भी जीव ही उपादानकारण नहीं है। जो देह-रहित व कर्मबंध-रहित मुक्त जीव हैं उनको जो अनन्त अतीन्द्रियसुख है, वहीं तो विशेष करके आत्मा ही कारण है ॥६॥ अथैतदेव दृढयति एगतेण हि देहो सुहं ण देहिस्स कुणदि सग्गे वा । विसयवसेण दु सोक्खं दुक्खं वा हवदि सयमादा ॥६६॥ एकान्तेन हि देहः सुखं न देहिनः करोति स्वर्गे वा। विषयवशंन तु सौख्यं दुःखं वा भवति स्वयमात्मा ।।६६।। अयमत्र सिद्धान्तो यहिण्यये क्रियिकत्वेऽपि शरीरं न खलु सुखाय कल्प्येतेतीष्टानामनिष्टानां या विषयाणां वशेन सुखं वा दुखं वा स्वयमेवात्मा स्यात् ॥६६॥ भूमिका- अब इसी बात को दृढ़ करते हैं अन्वयार्थ-[एकान्तेन हि] एकान्त से अर्थात् नियम से [स्वर्गे] स्वर्ग में [वा] भी [देहः] शरीर [देहिनः] शरीरी (आत्मा) के [सुखं न करोति ] सुख नहीं करता [विषयवशेन तु] परन्तु विषयों के वश से [सौख्यं वा दुःखं] सुखरूप अथवा दुःख रूप [स्वयं आत्मा भवति] स्वयं आत्मा [परिणमित) होता है। ___टीका-यहाँ यह सिद्धान्त है कि दिव्य वैक्रियिक-पना होने पर भी शरीर से पास्तव में सुख के लिए कल्पना नहीं की जा सकती (वैक्रियिकशरीर सुख देता है, यह कल्पना नहीं की जा सकती है), क्योंकि इष्ट अथवा अनिष्ट विषयों के वश से सुख अथवा दुःख रूप स्वयं आत्मा (परिणत) होता है ॥६६॥ तात्पर्यवति . अथ मनुष्यशरीरं मा भवतु, देवशरीरं दिव्यं तरिकल सुखकारणं भविष्यतोत्याशङ्कां निरा. करोति एगतेण हि बेहो सुहं ण देहिस्स कुणदि एकान्तेन हि स्फुटं देहः कर्ता सुखं न करोति । कस्य ? देहिनः संसारिजीवस्य । क्य ? सग्गे वा आस्तां तावन्मनुष्याणां मनुष्यदेहः सुखं न करोति, स्वर्गे वा मासो दिव्यो देवदेहः सोप्युपचार विहाय सुखं न करोति । विसयरसेण दु सोक्खं दुक्खं वा हयदि सयमादा किन्तु निश्चयेन निविषयामूर्तस्वाभाविकसदानन्दै कसुखस्वभावोपि व्यवहारेणानादिकमबन्ध
SR No.090360
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShreyans Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages688
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Religion
File Size19 MB
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