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________________ ८६ पउमरित मन्दोपरि वय गुण-दन्तियाँ। कम्तियाँ पासें मसिकन्तियाँ ।।४।। शिवस्वान्त समउ अन्तउरॅण। साहरणोत्तारिप-णेउरण ॥५॥ पञ्चइउ को वि पन्वइस ण वि। पहें पाई णिहालड भाड रवि ॥६॥ रवि उद्दउ विहीसणु गयउ तहिं । नन्दगावणे जणयहाँ तणय जाहि ॥७॥ आहरण वत्थ ढोइय। वइदहिएँ ताई ण जोइयई ।।८।। घता 'मलु फेवलु आयई सम्बइ मि णिय-पइहें मिलन्तिहें कुल-बहुहँ जइ मणे मलिणु मणम्मणउ । सील जि होइ पसाहणत ॥५॥ जइ जामि मासि परिचत्त-मय। विशु जिम-भसार जन्तियहे। पुरिस? चित्तई भासीविसहैं। वीसासु जन्ति णउ इयरहु मि। तं वयश सुणेवि महासइहे। 'श्रहों अहाँ परमेसर दासरहि। मिलि ताव महारा जामइहें चड तिजगविहसण कुम्भय तो सहुँ हणुवन्ते किषण गय ।।३।। कुलहरू जें पिसुणु कुलाउत्तियाँ ॥२॥ अलाहन्त पि उधिसम्ति मिसइँ ॥३॥ सुय-देवर-मायर-पियरष्ठु मि ॥३॥ गउ पाखु विहीसणु रहुवाहें ॥५॥ पच्छएँ लकावरि पसरहि ॥६॥ तर दुतर-विरह-महाणइहें ॥७॥ मय-परिमल मेलाविय-मसलें ॥८॥ पत्ता तं णिसुणेवि हलहरु चकहरु सीपहूँ पासें समुश्चक्रिय । अहिसेय-समऍ सिरि-वेक्य दिग्गय शिषिण णा मिलिय ||१||
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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