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पउमचरिउ
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परिहानिय दसाणण- पतिउ । डर - निवहु समउ हय-मग्र्गे । अनुकिय वन्तणि सोहे हिं(१) सबै केरालिङ्गण- मावे हि । मणिकुण्डल समाउ तनु-तेऐं हं । वरण्णावयंस सहुँ गएँ हिँ || २ || खुद दिन (?) सिय सहुँ गाहिं । चूहामणिय पिय- पणय पणाम हिं॥
सहु केउरें हिँ विमुक पोलिउ ||४|| रसना-दामइँ सधैँ सोहम् ॥५॥ चूडा-बन्ध समउ घर - मोहेंहि ॥ ६ ॥ कण्ठा कण्ट राहण-सहावहिं ॥ ७ ॥
घत्ता
एव विमुक विसय सुड़े हैं समय मणि - रमनहूँ । वरण मुएँ दिढ सई भु पुर्ण गुरुवयण ||१०| जुज्झर्क सभासम्