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________________ सफलतरिमो संधि कुमुद, कुन्द, हनुमान, रम्भ, विगधित, वार, तरंग, चन्द्रकिरण, करण, जंग, अंगद, गश्य, गवाक्ष, सुसंस, नरेन्द्र, नल, नील, माहिन्द्र, महेन्द्र, तुम इन्द्रजीत और कुम्भकर्णको शीघ्र ले आओ! लोकाचार पूरा करो, सब सरोवरमें स्नान करो," यह सुनकर, पाँच प्रकारको मन्त्रनीतिके वेत्ता बुद्धिमान सामन्तोंने कहा, "हे स्वामी यह ठीक न होगा, सबमें पिताका वैर सबसे बड़ा होता है । इन्द्रजोत राजा हमें पानीमें देखकर यदि विद्रोह कर बैठा तो वह हमारी समूची छावनीको नष्ट कर देगा ॥१-१०।। [ १६ ] जब उसका देवताओंसे संग्राम हुआ था तब क्या तुमने उसके पराक्रमको नहीं देखा ! बलपूर्वक देवसुताको जीत कर उसने बलवान जयन्वका अहंकार नष्ट कर दिया था। इसके अतिरिक्त यशस्वी पवनपुत्रको भी उसने नागपाश में बाँध लिया था और भी जो भामण्डल और सुग्रीव थे, उन्हें भी उसने दिव्यास्त्रसे अपने हाथों पकड़ लिया था। कुम्मकर्ण मी जब तैयार होकर निकला था तो क्या वह पकड़ा गया था । उस अवसरपर' उसने जो कुछ किया उससे सभी सेना अचरज में पड़ गयी थी । हनुमान आपत्तिमें फंस गया था। उसे तारासुतने बड़ी कठिनाईसे छुड़ाया था। हवा और आगके समान हैं वे दोनों ! अमर्षसे भरे हुए उनका प्रतिकार भला कौन कर सकता है ? और क्या बंधे हुए मणि उज्ज्वल नहीं होते, क्या बँधे हुए मदगज अपना मद छोड़ देते हैं ? हे आदरणीय, बैंके हुए काव्यालाप क्या जनपदोंमें शोभा नहीं पाते। इन लोगों के हाथसे भाईका और भयंकर रूपसे बढ़ गया है। हम नहीं जानते कि द्रोहसे विभीषण क्या कर बैठे ॥१-१०॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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