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अनुक्रम
(xv)
विदग्धा द्वारा रामका स्वागत, विभीषणका राज्याभिषेक, माता कोशल्याका पुत्र-वियोगमै दुख, नारव मुनि द्वारा उन्हें सान्त्वना और यह सूचना कि वे लंकामें विभीषणके आतिश्यका उपभोग कर रहे है, महामुनि भारषका प्रस्थान, लंकामं जाकर रामको सूचना देना, रामका पुष्पक विमान द्वारा अयोग्याके लिए
प्रस्थान, यात्रा मार्ग के प्रमुख स्थलोंका वर्णन । उन्नासवीं सन्धि
१०५-११९ रामके आगममपर भरत द्वारा स्वागत के लिए प्रस्थान, सवारियों का मार्गमें रेलपेल, रामका अयोध्यामें प्रवेश, अनता द्वारा स्थागत, रामका माताओं से मिलन, भरतकी विरक्ति, जलक्रीड़ा
द्वारा भरतको प्रलोभन, भरत की दृढ़ता, रामका राज्याभिषेक । अस्सीपी पनि
२२०-१३४ विभिन्न लोगों के लिए राज्यका वितरण, शत्रुपनका मथुरापर साक्रमण, मथुराके राजा मयुका पनाम, समाधिमरणपूर्वक राजा
मभुको महागजपर मृत्यु । इक्यासीवीं सन्धि
१३४-१५५ रामकी सीताके प्रति बिरक्ति, सौताका अन्तर्वनी होसा, सीताको दोहद, लोकापवाद, रामकी चिन्ता, नारीके सम्बन्धमें रामके विचार, रामका सीता निर्वासनका प्रस्ताव, लक्ष्मण द्वारा विरोध, सीताका बियावान अटवी में निर्वासन, इस पर नारीजनको प्रतिक्रिया, सीताका वनमें आत्मचिन्तन, मनुष्यजाति पर आरोप, सोताको असहाय अवस्था, राशा वचषका सोता देवी को आश्रय, लवण अंकुशका जन्म ।