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पउमस्ति
रएँ रणे दाणे बद्ध-अणुरायई। जिय-सुर काया-वडिय-फाय ॥६॥ विहुयण-अण-संताषण-सोल । तियस-विन्द कन्दावण-लीलई ।।७।। कम्पाविय-दस-दिसिवह मागहुँ । सयलागम-अवसाण-अलग्ग' ।।४।। साई मुहइँ अच्छन्त-वियढई। णिविसे सुण्णहराई व ददन है ॥२॥
घप्ता जाई विसाल सरकर तार मुख-महावरें। विहि परिणामेण गपगई ताई कियाँ मसिमावई ।।१०॥
जे कुपरल-मणि-मण्डिया समकागम-परिचाहमा ।
काणाऽणक-घोलिया बल्लरा व पोलिया ।।। जाइ जिणिन्द पाय-पणमिल ।। सेहरमउप-पष्ट-सोहिल्लई ॥२॥ अक्षण-गिरि-सिहरुग्णय-माणहूँ। सजल चलाइय-दुग्ग-समाण ॥ कृष्ण-कुष्टलुजल-गण्डयकई। अट्टमिन्यन्द-रुन्द-भालमहर ।।३।। सयल-काल(?)रमें भिउरिकराल । मङ्गुर-कसम-लोल-मउहाल १॥५॥ बम-गासय-पईहर-मयमई। दसणावलि-दहाहरवमण हैं ॥६॥ साई सिरई सय-कुस्तक कसाई। किया खणन्तरेण मसि-सेसई ॥ धुप परिहड परिपुण्ण-मणोरह। साब-भूट समजाली(?) हुमबदु ॥४॥ जो सुरवाँ भासि अवहरिषउ । सो रावणु तेज व णीसरियउ ।।१॥ सरया-सावधि व णिस्वदिवस। कखग कोषाग्य व पारिवड 11 खेस-चिसम्गि व दूरलियन । बसुमा-
हिय-पप गवकिपड .