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________________ ५८ पडमचरित [4] मद- णिवश अमेयें । सित्रय चन्द्रण- भिराइँ ॥१॥ कढें रामाप मेलावियई वित्ति चन्वर- गांमिरीस - सिरिखण्ड हूँ । लय कथूरी करङ्गएँ । एवं सुन्ध-महम-पसुहइँ । किङ्कर-वरे हिं तिलया। 'मेकावियई महारा कई । कामिन्द्रि व जण बहूँ। बरि-कुलाई व उक्त्वय-मूल हूँ। सुणेवि विणिग्गणा । देवदारुकालागखण्डइँ || २ || कङ्कालेला-लव लि-लवङ्गहूँ ||३|| णीमावि मसाहाँ समुह ॥ ४ ॥ कहि पत्रे सहवचन्द्रह ||५|| टुकुर- दाणाई [] कहूँ ॥ ६ ॥ कुकुम्बाई व थाहाँ मटुइँ ॥ ७॥ बाइ पुरिस-चिलाई व चुकइँ' ॥८॥ उच्चलावि रामणु राम ||१|| घन्ता जंग तुलेपणु किड कलासु समुष्णइ सड सां विहि-कन्ग सामणदि मि जिद्द करगड ||१०|| [ ६ ] परिवर्णे । उच्चाएँ दसाण मीस त्रिवि पारड केली-त्रण उच्छु-वण-समागाइँ । रहरियमाणमण व सोड पत्र उट्टि हाहाकारक ॥१॥ खलई व उद्धइँ थियहुँ बिताई ॥२॥ पूरियस वन्धु तुषेण व ॥ ३॥ बहँ तोरणाएँ चरा दव || ४ || बिसई पाई कु· कलता हूँ तूर हूँ पुत्र चद्दरा इव । चमरहूँ पाथियाई चित्ताई व फाडियाहूँ दोहा हूँ व सई 1 ५॥ धरित्र संग्रहणाएँ व छत ||६|| चूरिया खल-सुहइँ व स्थगहुँ । खुइँ सङ्ग उलाहूँत्र कहूँ ॥ ० ॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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