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पडमचरित
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मद- णिवश अमेयें । सित्रय चन्द्रण- भिराइँ ॥१॥
कढें रामाप मेलावियई वित्ति चन्वर- गांमिरीस - सिरिखण्ड हूँ । लय कथूरी करङ्गएँ । एवं सुन्ध-महम-पसुहइँ । किङ्कर-वरे हिं तिलया। 'मेकावियई महारा कई । कामिन्द्रि व जण बहूँ। बरि-कुलाई व उक्त्वय-मूल हूँ। सुणेवि विणिग्गणा ।
देवदारुकालागखण्डइँ || २ || कङ्कालेला-लव लि-लवङ्गहूँ ||३|| णीमावि मसाहाँ समुह ॥ ४ ॥ कहि पत्रे सहवचन्द्रह ||५|| टुकुर- दाणाई [] कहूँ ॥ ६ ॥ कुकुम्बाई व थाहाँ मटुइँ ॥ ७॥ बाइ पुरिस-चिलाई व चुकइँ' ॥८॥ उच्चलावि रामणु राम ||१||
घन्ता
जंग तुलेपणु किड कलासु समुष्णइ सड सां विहि-कन्ग सामणदि मि जिद्द करगड ||१०||
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परिवर्णे ।
उच्चाएँ दसाण मीस त्रिवि पारड केली-त्रण उच्छु-वण-समागाइँ । रहरियमाणमण व
सोड पत्र उट्टि हाहाकारक ॥१॥ खलई व उद्धइँ थियहुँ बिताई ॥२॥ पूरियस वन्धु तुषेण व ॥ ३॥ बहँ तोरणाएँ चरा दव || ४ || बिसई पाई कु· कलता हूँ
तूर हूँ पुत्र चद्दरा इव । चमरहूँ पाथियाई चित्ताई व फाडियाहूँ दोहा हूँ व सई 1
५॥
धरित्र संग्रहणाएँ व छत ||६||
चूरिया खल-सुहइँ व स्थगहुँ । खुइँ सङ्ग उलाहूँत्र कहूँ ॥ ० ॥