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पउमचरि
वेबइ बाहिणि किं सहूँ सीमहि ।
छिमाण वणसड् जग्ोस ।
पवणु ण मिडइ भाणु कर सइ विन्ध कहि ब्यि
एयही असलिय- माणड़ों पूपिणइणि आहो
रोबहि किं तिहुण वसियरण :
यहि किय-कुवेर विमाडणु । रोवहि किय-कलासुद्धा रणु । रोहि क्रिय- सुर-भुव वन्धणु । रोहि किय- दियर रह मांडणू । रोवहि किय- फणिमणि-उड़ाठणु ।
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वाहाव खजन्ती ओसहि ॥ ६ ॥
कहुँ मरणु निरास होस 15 धणु रावल
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पाच पिण्डु अणिहालिय धामु ।
धम्म-त्रिणउ सीविड जासु महिल-मिस-मंसहि मामु || ३ ||
शेवहि किह णिहि रयप्पाय
रोहि किय बहुरुविणि-साइणु ।
इ-चोरग्गिहुँ सम्बद्द ॥ ८ ॥
विसरुन स्याँहि ॥९॥
घत्ता
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दिण्ण-निरन्तर दाणीं । रोबहि काई दसासौं || १ || क्रिय-जिसियर - सम्भुख रणउ ॥२॥ किय जम-महिस- सिङ्ग- उप्पादणु ॥३॥ सहस किरण-ल कुन्धर- बार ||४|| किय-अङ्गावय-दप्पणिसुम्मणु ॥५॥ किय-ससि केसरि केसर-तोदणु ॥ ३ ॥ किय वरुणाहिमाण संचालणु ॥७॥ किय- स्वणियर-नियर मध्याय 114 किय- दारुण-सह- समर ॥९॥