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पवमचरित तेण समाणु दिणिग्गय-णामे हिं। दिस साणणु लक्लण-रामे हि ॥२॥ दिट्इँ स-मा-सिरह पकोडहूँ । गाई सकेसराइँ कन्दोहद ॥३॥ दिवई माकयलई पायडियई। भञ्जयन्द-षिम्बाई व एडियई ।।४।। दिट्ठई मणि-कुण्डलई स-तेयई। गं खब-रषि-मण्डलइँ अणेयर ॥५॥ दिट्टर भउहउ भिउडि काल। णं पलयरिंग-सिहउ धूमालउ ॥६॥ दिट्टई दोह-बिसालई गेसह। मिहणा हघ भामरणाससई ।।७।। मुइ-कुहरहँ दबोट्टई दिट्ठहै। जमकरणाई प जमहाँ मजिटइँ ॥ दिट्ट महम्भुव मह-सम्दोई। गं पारोह मुकणग्गोहें ॥१॥ दिट्ट उर-स्थलु फाबिउ च। दिण-मजनु म(?)मज्मत्य बा ।।०॥ मवणियल व विन्झेण विहलिउ । णं विहि भाग हि तिमिर व पुञ्जि
घन्ता
पेक्रावि रामेण समरगणे रामण [ हो ] मुहाई। आलिनेप्पिणु धोरिव 'रुवहि विहीसण काइँ ॥१२॥
[२] सो मुउ जो मय-मत्तउ जीव-दया-परिचत्ता।
घय चारित्त-विहूणउ दाण-रणगणे दीण||१|| सरणाइय-वन्दिग्गहें गोग्गहें। सामि भवसर मिस-परिग्गः ॥२६ णिय-परिहवें पर-विहुरै ण जुज्ज ह । सेहउ पुरिसु विहीसण रूजइ । ३॥ भण्णु । दुनिय-काम-जणेरठ । गहउ पाव-मारु असु केरउ ॥३॥ सन्वंसह धि सहेवि ण सका। अहाँ अण्णा भणन्ति ण था।