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पउमचरिउ
किह इन्धणेण दबु वहसाणरु। किह चुलुएण सुसिउ रयणायर १११।। किह पोलैंण णिबद्ध पहाणु। किष्ट करेग्य दकिट मयसम्छणु ॥४॥ दिणयह तेय-गसि कर-दुमछु । कि जोद्दलणेण किउ णिप्पा ॥५॥ किह पडेण ५च्छष्णु पहायड। किह सिव-पहु अण्णाणे णायड ॥६॥ किह परमाणुएण गहु छाइट । किह गोप महिमपाल माइट ।।७॥ किह भतएण तुलित भुवण-नउ । मरणावस्थ कालु कह पत्ता
घत्ता तं एरिसर वयणु सुर्णे वि रावण-तणयहुँ विम-सारहे । इन इ-पमहउ मुच्छियउ भद्ध-पन कोडीड कुमारहुँ ।।५।।
[१४] णिवडिव कुम्रयपणु सहुँ पुहि । जे मयलञ्छशु सहुँ णक्यत्तेहि ।।१।। ण अमराहिट सहियउ अमरें हिं । सित्त जलेण पविजिउ चमरें हिं ॥२॥ उद्दिड दुक्खु टुक्नु दुरपाउरु। सोयहाँ सगउ गाई पदमकुरु ॥५॥ लग्गु रुपवएँ 'हा हा भारि । हा हा हउ हरिणेहि व केसरि ॥४॥ हा विहि तुहु मि हउ दालिदिउ । हा सवड तुडु मि किह छिदिड ॥५॥ हा जम तुहु मि महाहवें घाउ । हा रयणायर सुह मि तिसाइड ।।६॥ हा मरु तुहु मि णिवन्धणु पत्तड । हा रवि तुहु मि किरण-परिचसउ ॥७॥ हा ददोऽसि तुहु मि धूम द्धय । पीसोहा तुहु मि मयरद्धय ॥८॥
घत्ता हा अचछिन्द तुमि चलिउ तुहु मि पयावर भुक्खएँ भग्गउ । पुषण महरष पेक्यु क्रिह वञ्जमा वि सम्में घुणु लागउ' ॥५॥