________________
पउमरिड
पत्ता
सामिय पहूँ मविएण विणु पुष्फ विमाण चवि गुरु-मत्तिएँ । मेरु-सिहरें जिण-मन्दिर को मई णेसइ बन्दग-हत्तिएँ' ।।१०॥
पुणु वि पुणु वि गमणझणगोयरि । कलुणकन्दु करइ मन्दोपरि ॥१॥ 'णन्दण-वणे दिज्जन्ति मनोहरि । सुमरमि परियाय-तरु मारे ।।२।। पाण-वाविहें यण-परिचता । सुमरमि ईसि ईसि अवरुष्माणु ॥३॥ सयण-मवणे णह-शिवर-वियारणु | सुमरमि कीला-
पय-तारण ||१|| पयण-रोस-समए मय-बादणु। सुमरमि रसणा-दाम-णिबन्धणु || सुभरमि दिनमाणु दणु-दावणि। धरणिन्दहाँ के रउ धूम-मणि ॥६॥ सुमरमि सामि कुमााहों केरउ । घरहिण-पेहुण-कणेऊरउ ।।७।। सुमरमि सुर-करि-मय-मल-सामलु । हारें विजमाणु मुताइलु ॥८॥
घत्ता
सुममि सइँ सुस्यालहणे णेउर-घर-मार विलासु । नो ह महारट पजमउ हियड ण वे-दलु होइ णि राषु' ।।९।।
पुणु वि पुणु वि भन्दायरि जम्पद । 'उहूँ मडारा केत्तिउ सुष्पइ ।।१।। जइ वि पिरारिड णि सुतः। तो वि ण सोइहि महियाले सुत्तउ॥२॥ सामिय को अवराहु महारउ | सीयह पूई गय सय-वारउ ।।३।। तो इ अ-कारणे जे भाण्टुर। जेण परिहिउ पाराउटुट' ॥१॥