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________________ छसप्तरिमो संधि [८] ऐसा लग रहा था मानो ताराचक्र अपने स्थानसे च्युत हो गया हो। बड़ी कठिनाईसे रनिवासकी मूछी दूर हुई। मन्दोदरी, उर्वशी, तिलोत्तमा, सुन्दरी, चन्द्रवदना, श्रीकान्ता, अनुद्धरा, कमलमुखी, गान्धारी और वसुन्धरा, मालती, चम्पकमाला, मनोहरी, जयश्री, चन्द्रलेखा, तनूदरी, लक्ष्मी, वसन्तलेखा, मृगलोचना, योजनगन्धा, गौरी, गोरोचना, रत्नावली, मदनावली, सुप्रभा, कामलख:, कामलता, स्वयंप्रना, सुहृदा, वसन्ततिलका, मलयावती, कुंकुमलेखा, पद्मा, पद्मावती, उत्पल. माला, गुणावली, मिरुपमा, कीर्ति, बुद्धि, जयलक्ष्मी, मनोरमा आदि सभी रोने बैठ गयीं। शोकसे व्याकुल रोती विसूरती हुई स्त्रियांसे घिरा हुआ, रावण ऐसा जान पड़ता था, मानो नब मेचमालाओंसे विन्ध्याचल सब ओरसे घिरा हुआ हो ।।-२|| [९] लंकानगरीकी स्वामिनी फूट-फूट कर रोने लगी, "निमुवनजनके सिंह, हे रावण, अब तुम्हारे बिना युद्धका नगाड़ा कौन यज्ञबायेगा ! अब कौन, तुम्हारे अभावमें बालक्रीड़ाएँ करेगा ! तुम्हारे बिना नवग्रहोंको कौन इकट्ठा करेगा! कौन कण्टाभरण पहनेगा ! तुम्हारे बिना कौन विद्याकी आराधना करेगा ! कौन चन्द्रहासको साधना करेगा ! गन्धवोंकी वापिकामें कौन प्रवेश करेगा! छह हजार कन्याओंके मनमें कौन क्षोभ उत्पन्न करेगा! तुम्हारे बिना कुबेरका नाश कौन करेगा! त्रिजगभूषण महागज किसके वश में होगा! तुम्हारे बिना यमको कौन रोक सकेगा ! और कौन कैलासपर्वतका उद्धार करेगा ! सहस्रकिरण, नल-कूबर, इन्द्र, चन्द्र, वरुण और सूर्यसे अब कौन दुश्मनी लेगा ! अब कौन रत्नकोशको संरक्षण देगा!
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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