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पउमारत
[५] दुम्मा दुव-महपणवें वित्तउ। पिय-विभोय-जालोलि-पमित्त: ।। ३।। मोकल-कैसु विमण्टाल गत्तर। विह हफा मिवतन्तुहन्तर ।।२।। उद-हत्थु उदाहायन्तउ । अंसु-जोग पसुह सिञ्चन्तउ ।।३।। गेउर-हार दौर-गुणपन्त । चन्दग-इ-कदमें खुष्पन्न ||१| पोप-पश्रीहर-मारकाम्नउ । कजल-जल-मल-महलिजन्तउ ।।५॥ ण कोइल-कुल कहि मि पयउ। पर्ण गणियारि-गहु बिच्छुदृउ ।।६। गं कमालणि-वणु धामहो चुका णं हभिउलु महासर-मुकउ ||3|| कलुग-मरेण रसन्तु पचाइउ । णिविसें रण-धरित्ति सम्पाइस ३० ।।
घत्ता
हयगय मड-रुहिरारुणिय रत्ता परिहे वि पर वि
समर-वसुन्धरि सोह ण पाबइ। थिय रावण-अणुमरणे गावह ।।९।।
दिट्ट महाहवु चिणिवाइय-महु । मामिस-सोणिय-रस-बस-वीस ॥१॥ हैल-रुण्ड-विच्छह-मय रु। लोहाविय-धय-चिन्ध-णिान्तरु ॥२॥
चिय-उद्ध-कवन्ध-विसन्धुलु । वायस-धोर-गिद्ध-सिच-सङ्कुलु ॥३॥ कहि मि आयवत्तइँ ससि-धवल है। गं रण-देवय-अक्कण-कमकर॥४॥ कहि मि तुरङ्ग वाण-विणिभिण्णा । स्प-देवयाँ गाई लि दिण्णा ॥५॥ कहि मि सहि धरिय गहें कुक्षर । जल-धारा ऊरिय जलहर ।।६॥