________________ णवमो संधि 353 रचना कौन करता // 10 // सभी लोग स्वीकार करते हैं अपने पिताकी कमाई धन और सन्तान परम्परा। परन्तु त्रिभुवन स्वयंभूने पिताका काव्य परम्पराको महण किया // 19 // अकेले त्रिमुषन स्वयंभूको छोड़कर शेष शिष्यों में कौन है जो स्वयंभूके काव्य समुद्रका पार पा सकता है / / 12 // स्वयंभूदेव द्वारा रचित यह सुन्दर पनचरित समाप्त हुआ। त्रिभुवनस्वयंभूने उसे भी (शेषभाग लिखकर) परिसमाप्ति तक पहुँचाया / / 13|| चेष्टित अयन चरित करण और 'धारित्र ये जो शब्द है-इनका एक पर्याय 'रामायण' यह कहा गया है, इसीलिए यह रामकी चेष्टा है // 14 // जो इसे पढ़या है, सुनता है उसकी आयु और पुण्य बढ़ता है / तलवार खींचे हुए भी शत्रु कुछ नहीं कर सकता, उसका बैर शान्त हो जाता है / / 5 / / 'माउरके पुत्र श्रीकविराज के पुत्र द्वारा रचित पद्मचरितका अवशेष सम्पूर्ण पूरा हुआ वंदइने इसे पूरा करवाया / / 16 / / विंदइके प्रथमपुत्रके वात्सल्यभावके लिए तथा गोविन्द मदन आदि सज्जनोंके लिए त्रिभुवन स्वयंभू ने इसकी व्याख्या की // 17 // त्रिभुवन स्वयंभू कामना करता है कि वंदइ,नाग, श्रीपाल आदि भव्यजनोंको आरोग्य समृद्धि और शान्ति और सुख प्राप्त हो ||18 / यह रामकथा रूपी कन्या जिसके सात सर्ग रूपी अंग हैं जो तीन रत्नोंसे भूषित हैं, जिसे त्रिभुवन स्वयंभूने जन्म दिया. जो बंदइके मनरूपी पुत्रसे परिणीत हो // 19 //