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पडमचरिउ
साई वि तोदियई सकरूपलाई महवपणदुपार ।। तो णवरि चयारि समृदिया। कथळ कमलिणि कमला थिमाई ॥३॥ पुणु अण्णई अटु समुग्गया। णं फणसहाँ फणस, णिग्गयाइँ ॥१॥ पुणु सोलह पुण बत्तीस होन्ति । चउसद्वि सिर, पुणु णीसरंति ।।५।। सड अट्ठाधीस तपसणेण । पानिमइ सीसहुँ लक्षणेण | छप्पण्ण विणि खगई कियाइँ । छिण्णा कुमार जिह दुनिया 11। पुशु पज्ञ सयाई स-बारहाई। कमका. व तोडइ सुरिउ ताई ॥६॥ पुणु चउबीसोतरु सिर-सहासु। पारइ पछ-स्थल-सिरि-णिवासु ॥९॥
घत्ता
सीसइँ छिन्दन्तहाँ लक्षणहाँ बिउणउ विडणउ वित्थरह । रणे दक्लवन्तु बहु-रूबाई रावणु छन्दही अणुहरइ ।।१।।
[१९] ॥ दुबई ।। जिह निन्ति णाहि रिड-सीस. तिइ लबरसण-महासा ।
'दुकर यत्ति एषु रणे होसई' बोलम्ति सुरवा II तो जण-मण-णयपाणन्दणेण । पहरात दसरह-जन्दणेण ॥३॥ रिस-सिरई ताप विणिवाया। रग-भूमिहि जाव " माइयाई ।।३।। जिह सोसई विह इय बाडु-दण्ड । प गरुहें विसहर कय दु-खण्ड ।। सय सहस सक्ख अ-परिप्पमाण । एकेक सहि मि अणेय वाण ||4|| णमोहहाँ गं पारोह छिपण । सुर-करि-कर केग चि पहष्ण ॥६॥ सम्बखि सम्ब-णाहुनखा। णं पश्च-फणावलि थिय मुभा ॥३॥ फौं वि करपलु सहइ स-मण्डलग्गु । णं तरुवर-पाल लयहाँ लग्गु ॥८॥ की वि सहा सिलिम्मुइ-सङ्गमेण | बाट भुबा भुषामेण ॥१||