SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 356
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४६ अहमिस्ट अशु पुणु गणहरु होसहि तासु तुहुँ । अम्मर वि जो आसि हरि । सो भर्मे विचारु जम्मन्तरहूँ । विदेहें पुक्खर दीवें परें । मरहेसर-मणिहु चचहरु । णाण-सरुडाविय कम्म रउ । vshafta [१०] वर-रापूस गर्छौं र ११॥ हि काले सहि मोक्ष- सुदु ॥ २ ॥ पामेण खि जसु कम्पन्ति अरि ॥१३॥ माविय जिणक्षम्म णिरन्तर हूँ || ४ || होसइ सयवराज्य-पय ॥१५॥ पुणु होस तिरथों तिथयरु ॥६॥ जपसह वर- विष्वाण-पत्र ॥ ७॥ बोली हिं सधैं हिं वरिसें हिं रामणु करेमि हठ मि तर्हि । भरस-समुह बहु-मुणिवर सहि सुद-मावण-संजुत्त निमील सोया सुरबह - निवसन्ति जहि ॥ ८ ॥ [11] सु.वि भविस्स-काल- मव-वइयर | पुणु पुणु पपर्चेवि हलहरु मुणिवरु १ गर मणु जिण भवाइँ वन्दह ॥ २ ॥ केवल - णाणुरगमण-पएसइँ || ३ अनि पुज्जेषि नर्वेवि असे सई ॥४॥ अध्यउ सो सीएन्वु पणिन्दइ । सित्थङ्करसव-परदेस । fèxer-agfa-fasan-foriež | सुद्ध विसा तुङ्ग समन्दर । पुणु गम्पि णन्दोसर - दीवहों । कुरु-भूमि थिरु भाइ गवेर्सेवि । राह-गुण-गण-अणुराइड । परिभव पचषि मन्दर ||५|| थुइ करेषि राहलोक - पईव ॥ ६ ॥ भामण्डल स कन्तु मावि ॥४॥ सरसु सुख-सम्भु पराइ ॥८॥ घता अमर-सहासे हि परियरिज 1 सहूँ अवरहि रमन्तु थिय || ९ ||
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy