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________________ णवइमो संधि १४५ [८] यह सुनकर केवलज्ञानको धारण करनेवाले महामुनि श्रीरामने बताया, “मुनिए पूर्व मेरुपर्वतपर जगत प्रसिद्ध नगरी विजयावती है। उसमें गृहस्थ सुन्दरकी पत्नी रोहिणीसे दृढ़ बाहुवाले अरहदास और ऋषिदास नामक दो पुत्र हुए। गुण और नियमोंसे युक्त वे दोनों कुछ समय बाद स्वर्ग में देवता हुए। वहाँसे आकर वे दोनों विशद और विपुल कुलमें फिरसे उत्पन्न होंगे। चार प्रकारके दानका प्रदर्शन करनेवाले वे फिर भोगभूमिमें उत्पन्न होंगे। वहाँसे जिनधर्म रसायनका पान कर वे सनत्कुमार स्वर्गमें देवता होंगे। वहाँपर सात सागर प्रमाण सुख भोगकर देवभूमिसे वापस आकर फिरसे विजयावती नगरीमें उत्पन्न होंगे।।१-९॥ [१] यशोधन राजा कुमारकीर्तिसे लक्ष्मीरानीके गर्भसे मनचाहे दो पुत्र उत्पन्न होंगे। उनके नाम होंगे-जयकान्त और जयप्रभ । फिर वहाँ वे घोर तपश्चरण कर सातवें स्वर्गमें उत्पन्न होंगे। उस समय समस्त रत्नों और निधियोंकी अधिपति तू चक्रवर्ती होगी। लांतष स्वर्गसे आकर वे दोनों देव भी तुम्हारे बेटे बनेंगे। उनके नाम होंगे इन्द्ररथ और अंभोजरथ । जो युद्ध में देवताओंके लिए भी असम होंगे। फिर रत्नस्थल नगरमें राज्यकर बादमें तपस्याके द्वारा विमल मन तुम समाधि प्राम कर वैजयन्त स्वर्गमें देव बनोगे। इन्द्ररथ वही पुराना रावण है जिसने निःशेष विश्वको अपने वशमें कर लिया था। इस प्रकार मनुष्यत्वसे देवस्थ और देवत्वसे मनुष्यत्वमे घूम-फिर कर बह आठ कोका विनाशकर शीघ्र ही तीर्थकर होगा ॥१-१०॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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