SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 306
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९६ पवमचरिङ स- विराट्रिय गवय-गम- कणय ॥19 दहिमुह - सुसे - जम्बच समुह ॥४॥ मयम-रम्स दिवस यर ओति ॥५॥ सुहिणाहय-कमल- विषण्णणायण ॥ ६ ॥ सयल वि अंशुअ-जल-मरिय-यण वलवहाँ चलहिं पडिय केंवें । तइलोक गुरु मित्राण जेवें ॥ ७ ॥ ससिषण तार-तर-जणय | कोलाहल - इन्द्र महिन्द कुग्द | समिकरणळ-पांख-पसण्णकिति । घचा अक्लोइड पुणु असहन्स ऍहिँ काहि सम्पत्तु र 1 विगय-पहु दर षोणल-सिरु णं किउ केण विलेम || || [10] संगिऍवि सुमिला तण तेहि । 'हा हा काळ हाण-पाल । हा हा करूँ पेस किं पिणा । हा हा जण-मण-जणियाशुराय । हा सामिय जय - सिरि-निवास हा हा सामिय सच्चोवयारि । हा सामिय तु दम- रिशु इमेण कहें कि उ जन्तु तुझु । श्राहाविज वर - विवाहरेडिं ॥१॥ अइ-दूरीहू सामिसाल ||२|| हा बजाय अम्इँ अवाह || ३ || कहें को पेसेसह बहु- पसाय ||४|| पइँ विणुण षिं राहब जीवियास 114 || हा हा बरहरावत-वारि ॥ ६ ॥ परिमुज्झह ण वि एक्के मत्रेण 113H जे मुवि जाहि णकन्तु गुज् ॥८॥ । घत्ता दम- दिसि काउ सुरवर कि कलुमा णरवरहँ बणसउ उ मह - जलहि गिरि शेवादिय पर बिसहर वि ||९|| अप्प सन्धवि विडीसणेण । 'परिसहि देव महन्तु सोड । [14] तेण ॥१॥ पुणु पद्मणि सहवचन्द्र काण व विभोर ॥ २ ॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy