SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७६ पतमचरित हा हा बजाउह-दरिसिय-धह। सकासुन्दरि-किच-पाणिग्गह ॥५॥ हा गिहवाणरचण-वण-चूरण । अक्सकुमार-सवल-मुसुमूरण ॥५॥ हा घणवाहण-रण-सोसारण। हा विज्मा -ल गुल-पहारण ॥३॥ हा हा माग-पास-बहु-सोरण । हा हा राधण-मन्दिर-मोरण ||७॥ हा हा छता-पउलि-मिलादृण । हा हा वज्जोयस्दलवण (10) हा कक्षण-विसल्ल-मलावण। सय-वारङ जूराविय-नावण ॥९॥ अम्मह है विहि मि पुत्त कहन्तड । किह एकलउ जिणिवन्त' ||10|| एक भणवि सुय-सोयन्मइयई। जिणहरु गम्पि ताई पन्चायई ।।११॥ पत्ता सो वि मयरखूब बीसमड मारुइ बोर-वीर-तव-तत्तउ । बहु-विवस हि केवल लहें वि जेस्थु सयम्भु-वेउ तहिं पत्तड ।।१२।। कायस्स विजयसेसियस विस्थारिभो जसो भुषणे। सिद्धयण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेसेण हिस्सेसो ।। इय पोमचरिप-सेसे सयम्भुएवस्स कह वि लवरिए । तिहुयण-सयम्भु-हए मारुइ-णिग्वाण-पन्वमिणं ॥ पन्दइ-आसिय-तिहुयण-सयम्भु-परिरहय-रामचरियस्स । सेसम्मि जग पसिद्धे . छायासीमो इमी सरगी ।।
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy