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पउमचरिड
जय जय सयल-समग-बुम्भेय- पयासिय चार सास णा ॥२॥ जय जय सुटु-पु दुष्ट-कम्म-दिढ-घन-सोक्षणा जय जय कोह-लोह-अण्णाण-माग-दुम-पन्ति-मोरणा ॥३॥ जय जय मम्व-जीव संहार-समुरही नुरिउ सारणा जय जय हय-तिसाल-जय जाइ-जरा-मरण निवारणा ॥111 जय जय सपल-विमल-केवल-णाणुजल-दिच्च-लोयणा अय अय मव-भवन्तरावजिय-दुरिय-मलोह-बोयणा ॥५॥ जय जय सिजय-कमळ-वय-दय-णय-णि रुषम-गुण-गणालया जय जय बिसय-विराय जय जय दस-बिह-धम्माणुवालया ॥६॥ तुहुँ सम्बाहु सध्व-णिरवेशलु गिरजणु शिकलो परो तुहुँ णिरवप सुहुमु पामप्पड़ परमुलह परंपरो ॥ तुहुँ पिल्लेड अ-गुरु परमाणुड अक्खड वीयरायो मुहुँ गह मइ जणेरु सस मायरि मायरि सुहि सडापो' ॥८॥
पत्ता एवं विविह-योस हि थुणेवि [ पुणु ] पुणु जिणवरु पुज्जे धि वि । पवण-पुत्तु पहकटु णहूँ मन्दर-गिरि-सिहर, परिश्रवि ॥९॥
[१६] तहाँ हणुषहो गयणाणदयासु । जिण बन्दण-अणुराइय-मणासु ॥१॥ णिय-लील एन्तही भरह-खेतु । परिलकि दिवसु अत्यमिड मितु ॥॥ अणुस्त सम्म णं वेस आय । णं रक्खसि स्तारत जाय ॥२५ पहलन्भधार पुश हुक राइ। मसि-खप्पहविहिठ समस्थ(१)मा ।।।