________________
२६४
पउमचरित दुग्गह-गमनसारापार-वीरें। मय-काम-कोह-इन्दिय गहीरें ॥५॥ मिक्स गाय घायन्त-बाएँ। जर-मरण-जाइ-वेला-पिहा ॥६॥ घर-विविह-वाहि-कल्लोल-जुत्ते। परिममणाणसावत्तपत्ते ||७|| मय-माण विउल-पायाल-विवरें। अलियागम-मयल-कुदीव-णियाँ ॥४ मह-मोहम्मड-चल-फेण-माहे। सविभीय-सोय-वरवाणकोह ॥॥ परिम्यि सुइरु अ-लहन्त-धम्मु | कह कह वि लधु पुणु माअ-जम्मु ..
एहि पण कलेवरेण जिण-पाका-तरण्डएण
घप्ता
जहिं कहि बि पन्थि जम-डामरु। जाहुँ पेसु जहि जणु अजरामरू' ॥११
[1] सुय वयणु सुणेवि लकरमणेण । अवलोऍचि पुणु पुणु सकरखणेण ॥१॥ पाचुन्वेंवि मन्यएँ बार-बार । गगर-गिरेण पणिय कुमार ॥२॥ 'इह मिय इह सम्पय एउ रज्ज । छु सुर-तिय-समु पिय-यणुमणोनु । कुल जायर आयउ मायरीउ। आयउ सम्बह मि महत्तरीड ॥४ पामाय एय अइ-सोहमाण । कञ्चम-गिरिषर-सिहराणुमाण ||५|| आयई अवराई वि परिहरेषि ।। किह वणे णिच से सहुँ दिक्रय देवि ॥ हउँ तुम्ह ओह-बन्धणे णितन्तु । कि परिसेसें वि सत्वहु मि जुत्तु' ॥४॥ पश्चिबुत्त कुमार हिं 'काई एण। बहुएषा णि जम्पिएण ॥८॥ मोवल्लि साय मा होङ विग्घु । सिज्माउ' तब-चरण-णिहाणु सिग्घु' ९
घत्ता एम मणेप्पिणु स-रहसे हिं गम्पिणु महिन्दोधुय(१)णन्दण-वर्षे । पासे महच्चल-मुणिवरहूँ लय दिक्ष पीसेस? सकरपणे ॥१०॥