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पजमचरिउ
अणुहुसु सयल इहलोय-सोक्तु । जम्मही विणलक्खिाउ अहि मि दुक्ख ९ महु पुस विवाइड देवि जुज्छु। मिय-सत्तिएँ-पसणु कियठ सुझु ॥1.
धत्ता एयहि दासरहि
उबटुकह जाव ण मरण । मुक्क-परिग्गहर
वा लाम केमि तव-धरण ||
[५] ॥हेल|| लमह जग असेसु किय-णरवरिन्द-सेव ।
दुल्लहु णवर एक्कु पावज्ज-रयणु देव || || ते को लहु हत्थुस्थल्लहि। मई परलोय का मोमलहि ॥२॥ श्य-वयणे हि जण जणियाणन्दें। बुतु क्रियन्तवत्तु वलहों ।।३।। 'वच्छ वच्छ पावज लरपिणु । सव्व-सा परिचाउ करेपिणु ||४|| किह चरियण पा-हर हि ममसहि । पाणि-पर्स मोयशु भु सहि ॥५॥ किह दूसह परिसह वि सहसहि । अझै महामल-पल धरेसहि ॥१॥ किह धर्सणयल-सयण सोचेसहि । काणण वियण घोर णिसि सहि ।।।। किह दुकर-उपवास करेस हि। पक्ग्यु मासु छम्मास गर्मसहि ।।८ लष-मूल आयावणु देसहि । तुहिण-कणावलि देहे धरसहि ।। || तो संणागि मणह 'सुह-माणु । जो छमि तुइ प्येह-रसायण ।।१०॥ जा सछीहरु उज्झै वि सरकमि । सो कि अबरइँ सह वि ण सक्कमि ।।११
घाता मित्रु-सुसउहण दह-इरि जाब णिहम्मद । ताव रपणेण बरि
अजरामर-देसह) गम्मत
[६] ॥ हेला || कालेण बि गरिन्द बड़िय-मह व-सोउ ।
होसइ तुह समाणु अवरहि वि स विनोउ ||१||