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________________ I चमो संधि २२९ उसका कारण यही है कि उसने पूर्व जन्म में मुनिकी निन्दा की थी। और जो स्वयंभू राजाने अपने पुत्र के कारण श्रीभूतिकी हत्या की थी, उसी हिंसक स्वभाववाले रावणको चक्रवर्ती लक्ष्मणने मार गिराया ॥१-१॥ [२१] मुनिके दिव्य वचन सुनकर विभोषण गद्गद हो उठा। उसने फिर पूछना प्रारम्भ किया, "कृपया बताहर, किस कर्म से पिता के लिए विनीत सीतादेवा जैसी सनी को कलंक लगा ?" यह सुनकर महामुनिने जो अक्षय ज्ञानरूपा नदी संगम थे बताया, "सुदर्शन नामके मुनि विहार करते हुए मण्डल नामक गाँव में पहुँचे । निर्मल मन वह नन्दन वनमें ठहरे। सब लाग उनकी वन्दना भक्ति करनेके लिए गये। महामुनि अपनी छोटी बहन महासती सुदर्शना अजिंका से कुछ बात कर रहे थे। यह देखकर दुष्ट बुद्धि वेदवतीने यह बात सब लोगों से कह दी। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। क्योंकि स्त्रियाँ घरको दूषित करती हैं और बन्दर बनको ! खोटी स्त्रियाँ राजकुलको दूषित करती हैं और दुष्ट लोग सज्जनोंको दूषण लगाते हैं ॥१-८॥ [२०] इसपर विभीषणने कहा, "हे धर्मध्वज और इन्द्रियों और कामदेवके विजेता, आपने जो कुछ कहा वह बहुत सुन्दर कहा। मैंने इन स्त्रियोंके साथ रहकर इस बातकी स्वयं परीक्षा कर ली है।" तब महामुनिने फिर कहा, "जब इसने तप और नियमोंसे परिपूर्ण महामुनिको इस प्रकार लोक में अपवाद लगाया, तो उन्होंने भी यह प्रतिज्ञा कर ली कि जबतक यह भारी अपवाद नहीं मिटता मैं तबक सब प्रकार के आहारका त्याग करता हूँ । संसारका विनाश करनेवाले महामुनि के निश्चयको जानकर शासनदेवीका मुख बहुत भारी आशंकासे तत्काल झुक गया। तब वेदवतीने लोगों से कहा,
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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