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पउमचरिउ
घत्ता तावमाएँ महिहें मिसणात नुहिणमिरिन्दु य णिरु धनलु । पुष्पाउसु पाणवन्तड दीसह एकु जुषण-धवल ।।९।।
[९] तं गोइन्दु पिएँ वि चबुलाहौं। मेरु-तणउ भोपरिस सुरकहाँ ॥३॥ पासु पद्रवि तहाँ कपणन्तरें। दिण्ण पत्र णमुकार खणन्तरें ॥२॥ तहों फलेण प्रिण-सासण-मत्तहों। गन्मठमन्तरे तहाँ सिरिदत्तहाँ ॥३॥ जाउ पुसु परिवतिय-छायहाँ। बसहर तहाँ छत्तच्छायो । एकहि दिणे गन्दणवणु जनाउ । णिय चिरु मरण-भूमि सम्पत्सउ ॥५॥ घिउ णिलु जोयन्तु पिरन्तर । सुमरिउ सयल वि णिमय-मवागतरु । दिसउ णिऍषि गउ परम-विसायहाँ। पुणु उसरिउ अणोवम-णायहीं ॥७॥ "पत्थु पासि अणदुहु हउँ होतउ । एस्थ पएसें आसि णिवसन्त ॥६॥ इह परन्तु इह सलिलु पियन्तउ । इह णिवरिउ चिरु पाणान्नुड ॥५||
घत्ता तहिं काले कपण महु केरएँ जेण दिण्णु जवु जीव-हिउ । पक्वमि केणोषाएग (१)" एम सुरु चिन्तन्तु थिउ ॥१०||
[..] पुणु सहसा उत्तु विसालउ । तेस्थु कराविउ परम-जिणालउ ॥1॥ शियय-मवन्तरु पडे वि लिहावेवि । वार-पए तासु पन्धा वि ॥२॥ थबेवि भणेय सुहड़ परिरक्षणु। गउ राउल कुमार बहु-लक्खणु ॥३॥ एकहि दिण पउमरुइ महाइड। वन्दणहत्तिएँ मिणहरु पाइउ ।।३।। दिटछ ताव पडु लिहिय-कहभतरु । बिम्मित जीवइ जाव पिरम्तहा। सावारक्तिएहि दुण्याहौँ। कहिउ गम्पि तहाँ राय-कुमारहौँ ।।६।।