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________________ पउमचरित' ।। दुबई । जाणइ-जळण-जाल-मालाब कीविया वे वि दारुणा । कुछ-मयन्ध-गन्ध-सिन्धुर व बलधुर राम-रामणा ॥१॥ तो रण-मर-श्वर-धुरन्धरण। अल्फालिउ धणु दस-कम्धरेग ||२|| णं गजिङ पलय-महाषणेग। गं घोरिउ धोरु जमाणणेण ।।३।। अप्पाणु धित्त णं पाहयलेण। णं विरसिठ निरसु रसायलेण ॥१ गं महियले णिवडिङ धज्ज-घाउ । चलें रामहौँ कम्पु महन्तु जाउ ।।५।। मय वियलिय मत्त-महागया। रह फुट तुट्ट पगाह हयाह ।।६।। हल्लोहलिहा परिन्द सम्व। णिफन्द गिराउह गलिय-गन्ध ।। घय-छते हि कडयाह-सदु घुछ । कायर वाणर थाहरिन सुट्छ ।।८।। योलन्ति परोप्पर 'णा कज्ज। संघार-कालु लागु दु अज्जु ||९|| घत्ता एतह रमणायर दुप्पगम एतहे दारुणु दहबयण । एहि जोवेवड हि तणउ दिडु ण परिमणु घरु सयणु' ॥१०॥ [२] । दुबई ।। तो जग्गोह-रोह-पारोह-पईहर माहु- दणं । विसुग्गीव-जोच हरणेपा रणे मसण्ड-चण्डेणं ॥१॥ अपफालिड पजावतु चाट। तहाँ सहै कहाँण वि गयङ गाउ।।२।। तहों सहें बक्षिरित पाहु असेसु । थिउ जगु जे गहुँ मरणावसेसु ।।३।। तहाँ सो णं णायउलु तुट्टु। कह कह चि ण फम्म कसा फु१ ।।१।। स्सरसिय सुसाविय सायरा बि। कम्पाविय चन्द-विधायरा धि ।।५।। डोलात्रिय कुलगिरि दिग्गया वि । अप्पंपरिहूम सुरिन्दया वि ।।६।।
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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