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चौरासीबों संधि इसके अनन्तर, मुनि सकलभूषणको प्रणाम कर विभीषणने पूछा, “हे मुनिवर, बताइए. रावणने महासती सीता देवीका अपहरण क्यों किया?"
[१] और यह भी बताइए, निशाचर-युद्धके विजेता राघव ने उस जन्ममें क्या पुण्य किया था, जिससे उन्हें इस जन्म में इतनी अधिक प्रभुता मिली। यह भी बताइए कि निशाचर वंशमें श्रेष्ट परमशास्त्र-रूपी समुद्रके वेत्ता रावण, जो कि सूर्य के समान स्वयं निर्दोष है, दूसरेको स्त्रीको देखकर क्यों मुग्ध हो गया । बड़े-बड़े देवता नागराज और विद्याधर जैसी बड़ी-बड़ी शक्तियाँ, जिस रावणको नहीं जीत सकी, उसे कमल नयन लक्ष्मणने कैसे परास्त कर दिया। मैं स्वयं अपने भाई रावणकी अपेक्षा राम और लक्ष्मणसे इतना प्रेम क्यों करता हूँ: दूसरे जन्ममें सीता देवीने ऐसा क्या भारी पाप किया था जिसके कारण उसे इस जन्ममें सैकड़ों दुःख झेलने पड़े ।। १-९ ।।
[२] यह सुनकर कामका नाश करनेवाले धर्मध्वज सकलभूषण महामुनिने कहा, "जम्बूद्वीपके भरत क्षेत्रके भीतर, दक्षिण दिशामें क्षेमपुरी नगरी है। उसमें नयदत्त नामका श्रेष्ठ बनिया था। त्यागकी पताकामें बह कोटीश्वर था) उसकी पीन पयोधर सुनन्मा नामकी पत्नी थी, मानो कुबेरकी सुन्दर पत्नी धनदेवी हो । जसका पहला बेटा धनदत्त था, दूसरा भाग्यशाली पुत्र वसुदत्त था। उसी नगरमें यशवलि नामका पण्डित द्विजवर था। सागरदत्त नामका एक और बनिया था। उसकी