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________________ २०६ मी पुणु णिम-जस-भुवण-तम-धवलें। सिर-सीहरोवरि-किय-कर-कमलें ॥ पुच्छिन्ड वलण 'अण-वियारा। परम-धम्म वजरवि मशारा' ॥५|| सेण वि अहिउ सम्वु सङ्ख। मरईसाहाँ जेब पुरएवें ॥६॥ तव-चरित्त-वय-दसण-पागई। पञ्च वि गड् जीव-गुणथाण ॥७॥ खम-दम-धम्माहम्म-पुराणहै। जग-जीयुरछाउ-पमागाई ।।८।। समय-पल-स्यणायर-पुम्बई। बन्ध-मोक्व-लेसर वर-दम्बा ३९|| घत्ता आयइँ अबरई वि भसेसई कहियई मुणि-गण-सारऍण । परमागमें जिह उरिट्ठाई आसि सयम्भु-मडारण ॥९॥ इय पउमचरिय-सेसे। सयम्भुवस्स कह वि उवरिए । तिहुवण-सयम्भु-रइए। समाणियं सीय-दीव-पम्वमिणं ॥१॥ वन्दइ-आसिय-तिष्टुभण-सयम्भु-का-कहिय-पीमचरियस्स । सेसे भुवण-पगासे । तेश्रासीमो इमो सग्गो १२॥ कहायस्स विजय-सेलियस्त । विस्थारिओ जसो भुषणे । विहुण-संयम्भुणा। पोमचरियसेसेण हिस्सेसी ॥३॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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