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________________ पउमचरिउ [10] तं गिबि परिचत्त सहिऍ । "अहो राहब में जाहि बिसायौं । को सकइ णासहँ पुराइड । व महूँ विदेस णिउसी । बहु-वार तम्बोलु समाणिउ । बहु चार पयडिय बहु- मोग्गी। एव जम्पिट पुणु वइदेशिऍ ॥ १ ॥ णषित दोसु ण उण साय हों ॥ २॥ भव भव सहि विणासिय धम्महों। सभ्तु दोसु ऍड दुहिय-कम्महों ॥ ३ ॥ जं अलग्गज जीनहुँ आइ ||४|| तुज्झु पसाएं वसुमइ भुती ॥५॥ इहलोइड सुहु सबलु विमाणि ॥६॥ पहुँ सहुँ पुष्क- विभाणे बग्गी ॥७॥ १९८ दानवा | एवहि तिह करेमि पुणु बहुबइ । महु विषय सुहिं पात्त वणी भव-संसारहों बहुपमण्डि || || जिहण होमि परिचारी तियमइ ||९|| धत्ता छिन्दमि जाह-जरा-मरणु । लेमि अजु धुधु तव चरणु' || 1 || [16] ८ एमताएं ऍड वयणु चत्रेष्पिणु । दाहिण करेंण समुप्पादेपि ॥१॥ णिय- सिर-चिरविलीयान्वहों । पुरज पवत्रिय राव चन्द || २ || केस विवि लो षि सुखं । पडिउ नाइँ तरुवरु मरु-भाइ ॥ ३ ॥ महिहिं णिष्णु सुड्डु विशेषणु । जाय कह वि किर होइ सन्धेयणु || ४ || ताव गियन्त जिण-पय-सेवहँ बिनाहर भूगोयर देवई ॥ ५॥ सीयऍ सोल- तरण्ऍ थाएँवि । पासँ सम्बभूलण सुणिनाददों । नाम तुरिव तव-भूसिय विगाहु । छ दिक्स रिसि-आसमें जाएँषि ॥६ मिस - केवल गाण - सनाइहाँ ॥७॥ मुह-सम्ब-पर-वरथु-परिग्गहु ||८||
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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