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सीमा-दण-रूवाकोयणं । का विदेह अहरुलऍ कजलु
पउमचरिउ
विवरेरड णायरिया षणु जग फार्मे को वि ण
उणीव
आयल तहि तेह पमाणे विजाहर मामण्डल - णल-नीलङ्गङ्गय | जे पट्टकिय गाम-पुर-इंस हुँ । गाणा जाण विसा हि श्राय । दि रामु समिति महाउसु । सत्तणो विदिताह सुन्दर । पुणरवि रामों किया अहिन्दन ।
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लाय का वि अलसउ छोयनें ॥ ४ ॥ काऍ त्रिवति पन्छऍ अखलु ॥९॥
वत्ता
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किउ लवणस दंसणेण ।
स सरें कुसुम-सरायण ॥११०॥
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एतख दो पर रहुवइड़ें म पमायहि छोयहुँ छन्दै
सं णिहुणेवि चत्र रहुणन्दणु । जाणमि जिह हरि सुवण्णी । जाणमि जिह जिण सासणे मती
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चारिय
लक्का हिय कि फिन्ध पुरेसर ||२|| जमय ऋणय-मस्तणय समाय ॥३॥ गय हक्कारा चाहूँ मसेस हूँ ॥ ४ ॥ णं जिण जम्मणे अमर पराय ||५|| दिट्ठ मदणङ्कसु ॥ ६ ॥
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व एकहि मिलिय पञ्च णं मन्दर ॥ ७ ॥ घण्णव तुहुँ जसु एहा जन्दन ॥ ८ ॥
घता
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जं परमेसरि णाहिँ घरे । आत्रि का धि परिक्षा करें ||९||
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'जागमि साय तण सप्तणु ॥११॥ जाणमि जिह वय गुण - संपण्णी ॥२॥
जयमि जिह महु सोक्लुप्यन्ती ५५ ॥