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________________ सोमो संधि साथ तुम्हारा युद्ध कैसा !" महामुनि नारद के वचन सुनकर राम और लक्ष्मणने अपने हथियार डाल दिये । आकर उन्होंने दोनोंका सिर चूम लिया। वे भी उनके चरणकमलों में गिर पड़े। लवण, अंकुश, राम और लक्ष्मण एक साथ मिलकर ऐसे लग रहे थे मानो चारों समुद्र एक जगह आ मिले हों। सीताके पति रामने वाजंघको अपनी बाँहों में भर लिया। वारन्चार उसको प्रशंसा को कि आपके होनेसे हो मैं अपने दोनों बेटे पा सका । १९९ तेरासीव सन्धि निशाचरोंके महायुद्धको जीतनेवाले रामने अयोध्या में कुमारोंका प्रवेश धूम-धाम से कराया। वैदेहीकी बदनामी से डरे हुए रामने उन्हें समझाया । , [१] रामने जय-जय शब्द के साथ कुमार लवण और अंकुश का नगर में प्रवेश कराया । झल्लरी, पटह, भेरी, दडी, शंख एवं दूसरे असंख्य वाथ बज उठे। एक रथपर राम और अनंगलवण बैठे दूसरेपर मदनकुश और लवण | दुर्दम गजपर वाजंघ बैठा, मानो आकाशमें दूसरा चाँद ही हो । योद्धासमूह ने उसका जयजयकार किया, क्योंकि उसीने रामकी भेंट उनके पुत्रोंसे करायी थी। जनपद दर्षके अतिरेक में अपने अंगों मैं नहीं समा रहा था, एक दूसरेको चूर-चूर करते हुए दौड़े जा रहे थे। नगर में प्रवेश करते हुए कुमारोंको देखने में स्त्रियों
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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