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पउमचरिउ
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रिसि वयणु सुमेरिया क्लेहिं । अवरुण्डिय चुत्र विहिं वि के त्रि लवणकुस लक्षण-राम मिलिय ।
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। कम-कमल हैं विजय नाम से वि ॥७ व सायर एकहिं णाइँ मिलिय ||८||
घत्ता
वज्रजषु साह्रै भुभ जुएँ हिँ अवरुपित जागइ-कन्ते । बार-बार पोमाइयड 'महु मिलिय पुत्त पहूँ होन्तेन' ॥
[ ८३ तेअसीम संधि ]
लवणकस पुरें पइसा रैत्रि जिय-रबणियर- महाहवे । देहिं तुजस मोयऍण दिव्षु समोडिड राहण ॥
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लवणकस कुमार वलहदें । रि-पह मेरि-डि-सङ्कहिँ । रामु अणङ्गल रहे एकहि । वजन थिउ दुम- कारणें । जय जयकारि मड-सहाएं । जगवड रद्द अप माइउ । ऐक्सैवि ते कुमार पइसन्ता ।
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पुरें पसारिय जय जय सदें ॥१॥ बज्जन्तर्हि अवरेहिं अ-सङ्ग्रहं ॥२॥ लक्खणु मयणङ्कुसु अहिं ॥ २ ॥ वीयान्दु णाइँ गयण ॥ ५ ॥ 'राम सुक्ष मेलाविथ आएं' ॥५॥ एकमेक-चूरन्तु पधाइड ॥ ६ ॥ गाडि वि गणन्ति पर सन्खा ॥७॥