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________________ परमरित गड दूड तुरन्तु वहन्तु खेरि । खण्णधु रामु समाहिराम। सम्पादधु पक्रय-कालाणुन नि: सण्णद्ध गहिव पिस्वसंस। हय हरि-वल-बले सण्णाह-भेरि ॥५॥ तइलोककमातर ममिड णामु ॥३॥ नमसणु झालखण-लक्स-धारि॥७॥ वीसम्मर-गोयर खेबरेस ॥८॥ घत्ता दारुण-ग्णभूमि-पगई। सरहसइँ वे वि अभिट्टर ॥१॥ हय-नूर किय-कलयलाई लवणाम हरि-बल-बलइँ भक्मिष्टई हरित-पसाहगाई। लवणङ्कस-हरि-घल-माहणार ॥1॥ घुम्वार-बरि-विणिवारणाई। धारय-उबुङ्कुस-वारणा ॥२॥ खर-पर-पर-दप्प-हरणाई। अवरोध पैसिय-पहरणाई ॥३॥ जस-लुबई वढिय-विगाहाइँ। रण-रालिनिय विगहाई ||४|| हरि-खुर-खय-स्य-कय-धूसराइ आयामिय-मामिय-असिवरा ॥५॥ असि-किरण करालिय-पाहमलाइ। गय-मय-कदमिय-महीयलाई ।।३।। रुहिर-ण-पूर-पूरिय-पहाई। खुर-खोणी-खुस्त-महारहाई ।।७।। पय-भर-भारिय-वीसम्भरा। पहरन्ति परोप्पर णिकमरा ।।४।। घत्ता बजाज-रहुषह-वलाई दिई सरपुर-परिपालें। रण-मोयणु भुञ्जन्तऍण वे मुह( कियइँ णं कालें ॥९॥ [1] कहि जि धाइया मड़ा। मन्द- विमुकमवा ॥१11 स-गेस-वावरम्तया। परोप्पर हणन्तया |शा कहि जि भागया गया। पहार-संगया गया ।।३।। कहिं में नाण-जमारा। ममन्त भत्त कुभरा !! कहिं जें दन्ति दन्तया । रसन्ति मग्ग-दन्तपा ||५||
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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