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________________ पउमचरिउ [ २ ] पिहिमी पुरवरें पिपहुई पासु ॥ १॥ । कमणीय किसोयरि कणयमाल ||२॥ पट्टत्रिय महन्ता तेण तासु । 'दे देहि अयम-तणिय पाठ दूयहाँ चयर्णे दूमिउ परिन्दु । 'कुल- सोल-कित्ति-परिवज्जियाहँ । को कण्णउ देइ अज्जियाह ॥४॥ फुरिय-फणा मणि थिउ फणिन्दु ॥ ५ ॥ १५८ गड दुरवर वू मियङ्गु । लवणङ्कुस 1 -मामह कहि सेव । तं वचणु सुणेपिशु लड् खेरि क्रन्धं उपरि चलि वासु । ara राeिs बग्बरहु जलहर खोलें कि सुक्कु जिह ते वग्वमहारह-अज्जज । बहु दिवस करेपिगु संपहारू । तो पुण्डरी-पुर- पथिवेज | दण्ड धाय-वाइड-भुभङ्गुः ॥५॥ 'विहु-राएं दुहिय ण दिन जेब स देवाविय कहु पगाह-मेरि ॥७॥ विहिमी पुरवर-परमेसरासु || 4 || घत्ता पहु-पक्डि रण-महि मवि । थिउ अग्गाऍ जुज्नु समवि ||९|| कालें कुछ पिपिल काउ एल वि कुमारें हिंदुआ एहि । लवणक्कुस -नाम-पगासहिं । [2] अभि परोपकरणे अ॥१॥ परियार्णेवि पर-वल-परम- सारु ॥१॥ सदू - महारहु धरि तेण ॥३॥ सामन्त-सयइँ मेलदेवि भव ॥१॥ जयकारि सीय रणुमहि ॥५॥ इथ-स्थिय - सर-सरासहि ॥५॥१
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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