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पउमचरिउ
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पिहिमी पुरवरें पिपहुई पासु ॥ १॥ । कमणीय किसोयरि कणयमाल ||२॥
पट्टत्रिय महन्ता तेण तासु । 'दे देहि अयम-तणिय पाठ दूयहाँ चयर्णे दूमिउ परिन्दु । 'कुल- सोल-कित्ति-परिवज्जियाहँ । को कण्णउ देइ अज्जियाह ॥४॥
फुरिय-फणा मणि थिउ फणिन्दु ॥ ५ ॥
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गड दुरवर वू मियङ्गु । लवणङ्कुस 1 -मामह कहि सेव । तं वचणु सुणेपिशु लड् खेरि क्रन्धं उपरि चलि
वासु ।
ara राeिs बग्बरहु जलहर खोलें कि सुक्कु जिह
ते वग्वमहारह-अज्जज । बहु दिवस करेपिगु संपहारू । तो पुण्डरी-पुर- पथिवेज |
दण्ड धाय-वाइड-भुभङ्गुः ॥५॥ 'विहु-राएं दुहिय ण दिन जेब स देवाविय कहु पगाह-मेरि ॥७॥ विहिमी पुरवर-परमेसरासु || 4 ||
घत्ता
पहु-पक्डि रण-महि मवि । थिउ अग्गाऍ जुज्नु समवि ||९||
कालें कुछ पिपिल काउ एल वि कुमारें हिंदुआ एहि । लवणक्कुस -नाम-पगासहिं ।
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अभि परोपकरणे अ॥१॥ परियार्णेवि पर-वल-परम- सारु ॥१॥ सदू - महारहु धरि तेण ॥३॥ सामन्त-सयइँ मेलदेवि भव ॥१॥ जयकारि सीय रणुमहि ॥५॥ इथ-स्थिय - सर-सरासहि ॥५॥१