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[८२, यासीमो संधि ]
सुरवर डामर-डामरहिं ससहर-चक्कक्तियणाम हुँ । मिदिया माहवें वे विजण लवणकुम छक्खण-रामहुँ ।।
[ ] लघणकुल णिघि जुधाग-भाव । कलि कवलण कलिय-कला-कलाव ॥५॥ सयकामल-कुल-गह यल-मियक । प अरि-करि केसरि मुक-सक ॥२॥ रण मर-धुर-धोरिय धीर-खन्ध । गुण-गण-गणालि गं सेट-वन्ध ||शा घर-धारण दुखर-घर-धरिन्द। वन्दिय-जिणिन्द-चरणारविन्द ॥४॥ परिरक्खिय-सामिय सरण-मित्त । वन्दिरगहें गोरगहें किय-परित्त ॥५॥ भू-भूसण भुवपामरण-माव । दस-दिसि-पसत्त-णिग्गय पयान ॥६]] रामाहिराम रामाणुसरिस। जग-जागह-जणण जणिय-हरिस ॥७॥ पर-पवर-पुरअय अणिय-तास । मुद्द-चन्द-चन्दिमा-धवलियास ॥६॥
घत्ता
माणुस-वेसे अवयघि वे माय पाई थिय कामहों। "किह परिणावमि जमल-मई' उप्पण्ण घिन्त मर्गे मामहाँ ॥९॥