SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५४ पल मास्ट लायण्णु णिऍचि सोयहें तण गिरि धीरें सामरु गहिरिम धत्ता सिटुअणे कासु ण खुहिउ मणु । जजघु पर एक्कु जणु ॥१०॥ [१५] ॥ जंभेट्टिया ॥ मम्मीसेप्पिणु पय-गुण-थागणं । णिय परमंसरि सिविया-जाणेणं ॥१॥ पुण्डरोय-पुरवरु पहसन्ते । इह-सोह णिग्मविय तुरन्ते ।।२।। सस मणेषि पदहड वेवाविध। जणु बासका-थाणु मुभाविउ ।।३।। सहि उप्पण्ण पुत्त लवणकस । लक्षण-लक्वतिय दोहाउस ॥४ सीयारविहें णयण-सुहकर । पुम्ब-दिसिहें णं चन्द-दिवायर ।।५।। विचि-गय सिक्खविय महत्था । वापरणाइ-अणेयह सस्थई ।।६।। सयल-कला-कलाव-कवणीया। मन्दस्-मेरु णाई थिय वीया ।।। सेहि पहावें तर्हि रिड थम्भिय । रहुकुरू-मवण-खम्म उडिमय ।।८॥ ल-रहस सावळेव स-कियस्था । लक्षण-रामहुँ समर-समस्या ।।९।। पत्ता रिउ लवणसें हि णिस्कुसें हिं दण्ड-सज्य किड गाई अहि । पप्पं वि प्पिको दासि जिह लय स य म्भु व लेण महि ।।१०॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy