________________
मान
यत्ता पणवन्पिणु बम्फर नड्डम सिरु विक्षिणइ जिए.वाहों । संक्षही अणुविष्णु पेसणु करेंचि र ण एक्कु वि सेवाही' १०॥
[१२] ॥ जंभेष्टिया || एम भणेग्विणु रहु पल्लहिउ ।
समुह अउज्झहें सूउ पयहिड ।। १॥ बार-बार तहे दिण्णु विसेसणु। 'जामि माएं महु एत्ति पेसणु' ॥२॥ जं असहज्जी मुक्क वागन्त। मुच्छड एन्ति जन्ति स हि अवसरे ॥२॥ धाहाविउ उक्कण्ठल-मावऍ। 'कम्मु उदु किय3 मई पाव ॥४॥ मछुडु सारस-जुअलु विमोउ। चकवायमिहुणु व विच्छोहन ॥५|| जम्मह लमर्गेवि दुक्ख भायण । हा भामण्डल हा नारायण ||६| हा सत्तहण णाहि मम्मीसहि । हा जणेरि हा जणण ण दीसहि ।।। हा हय-विहि हउँ का विओक्ष्य । सिब-सियाल-सद्दूलहँ होय ॥८॥ हा हय-विहि तुहुँ का विरुद्धउ। जेण रामु महु उप्पर कुद्धउ ॥९॥
पत्ता वरि तिण-सिह वरि वणे वेल्लरिय बरि सिल लोय? पाण-पिय । दूहव-दुसस-दुह-मायणिय उ मई जेही का वितिय ॥१०॥
[ १३ ] || जंभेष्टिया । जस्लु थलु चणु तिणु भुवणु विचिस।
मंजि णिहालमि तं जि पहिसड ।।१।। मणु मणु भाणु माणु भू-भाषणु । जस्म मणण समिच्छिउ रात्रणु ॥२॥ पणसह तुहु मि ताव तहिं होन्ती। जइयहुँ णिय णिसियरेण रुवन्ती ॥३॥