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________________ ५२६ किंड कवतुरहूँ आय हूँ । चयर-महाराष्ट्र-गाि विवाह-- फोलिय हूँ । लर-णायामर लुध्य-हरणहुँ । लिहिला माला-ली वियई । पउमचरिय सतुद्रणागमेँ पत्रण यहाँ । उपणु बरें । किड कलयतु तूर-स्वन्नड्ड । दिया कि आतामिय- सन्दह । तादि पाडि आहयणं । विकिन्नव सहाँ त । चिरमियम सङ्घ-मयः ॥४॥ पतित ||५|| वर - सिहरसहाय मांडियई ॥६॥ लक्ष्य सावरपाई पहराएँ ॥ ॥ वर वर जाएँ मणि दीक्षियहूँ ||2|| घत्ता सतह मंत्र सिरं हि सामन्त हि सीसड़ 1 'पट्टण जिणघर में जिन भट्ट काही मि ण दीसई' ॥२॥ [+] पुनह लवणमहणनहीं ॥ १ ॥ ष्णहुल पर चले भिडिउ ॥ २ ॥ सरबरें हिकियन्तदन्तु छइउ ॥३॥ भय-दण्डु सह-जन्दणहीं ।।४।। दुवाएं महाम सहुँ चिन्हें द्विष्णु सरामणउ ॥ ६ ॥ बे-भय-पर-पार गय ||७|| दूर - पाणभय । कण्णय सुरुप्प कपरिय कवय (१) कोट्टाविय सारहि पहय-हय ||८|| चत्ता विहि मि परोपरु विरहु कि थिय वे विं गइन् । सादुकारिम गयण ब जम धणय - सुरिन्दे हि ॥ २ ॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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