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________________ Ev राज दसरह मरहहिं घोरु किंउ । तुहुँ र कसरि जम्पणउ | जह महु उप्पण्णु मणारहेंग | तो हि परमुख । केड - सुमालालवरिय पुत पयते भुझें तुहँ गु आसीस दिष्ण जं सुप्पह में | तोस सरु सहत्रेण । लक्रण वि धणुहरु अप्पणउ । णामेण कियन्तयन्तु पबलु | सामन्तहँ लक्ख परियरिड । सु-निमित्तहूँ हुअहूँ जन्ता हुँ । उक्रन्धे वृरुज्झिय- सित्रह । तो मन्तिहिं पणिउ } पउमचरिउ इक्क-सु ऍहु एम थिउ || ५ || तो वरि जसु रक्खि अपण्ड || ६ || जइ जति ट्रम्मर ||१|| परिजिनल समुह ||८|| घत्ता महु-राय- शिवसिणि। मं महुर-बिलासिणि' ||९|| [4] करें रगड़ जावसूल तहाँ । वयणेण तेण रहसुच्छ लिउ । पुरं वेदिग्रॅ बार रुद्राएँ । वनानिय शिय-गुण- सस्वयम् ॥१॥ दिज टि- महाहवे || || दसमिर सिर-कमलुकपणउ ॥३॥ पेणाव दिष्णु समम्-लु ॥४॥ मह भज्झ गोसरिज ॥५॥ सब मिलन्ति बिसाहूँ ॥ ६ ॥ उप्परे महुराराहिव हौ ॥ ७ ॥ 'जय मन्द बन्द्र बहु-सत्तु णु ॥८॥ घत्ता महु-मसह महराहिवहीँ घर पुरिस गविग्रहों । अज्जुमदारा - दिवस उज्जाणु पइन्हीं ॥ ९ ॥ [*] लइ ताव महुर महराहिवहाँ ' ॥ १ ॥ पण अन ते चलि ॥२॥ मय-विहल संसएँ बुद्धाई ॥१३॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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