SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११० प.मील तिणि विगबह तेस्धु जहि कोसल । पाह-मान्त घण-स्थग-मण्डल ॥१॥ साइड दिण्णउ मणु साहारिय । जिगवर-पदिम जेम जयकारिय ॥२॥ ताएँ वि दिण्णासीस मणोहर । 'जाव महा-समुह मन्महीहर ॥१॥ धाइ धरति जाव सयरायर | भाव मेरु णा चन्द-दिवायर ॥1 जाव दिसा-गहन्द गह-मण्डलु। जाव सुरेहि समाणु आहण्डल ॥५॥ जाव वहन्ति माहाणइ-वसई। जाच सवन्ति गरण पावरष सई॥६॥ ताव पुत्त तु? सिय अणुहलहि। सीयाएवि पद टु उहि ।।७।। सक्खणु होउ नि-मण्ड-पहाणड। मरहु अउज्झा-मण्डल राण' ||८|| पत्ता कइकह केशब-सुप्पहउ तिष्णि वि पुणु तिहि अहिगन्दियट । मेरो जिण-पदिमाउ जिह स इन्द-परिन्दहि धन्दिपउ ।।९।। [-] हरि-इलहरेंहि तेस्थु अच्छतेहिं । वह हि षासरेहि गडहि ॥१॥ मरहहाँ राय-लरिछ मागम्तहाँ। तन्तावाय वे वि जाणतहों ।।२॥ विविह-सत्ति-घउ-विजापन्तहों। पञ्च-पयार मन्तु मम्तन्तहों ॥३॥ छग्गुषणड असेसु जुज्जन्तहाँ। तह सत्ता रज्जु भुञ्जन्तहों ।।४।। बुद्धि-महागुण-अट्ट वहन्तहों। इसमें माएं पय पालम्तहों ॥५॥ वारह-मण्डल-चिन्त करम्सहो। अट्ठारह तिरथ रफ्षम्तहाँ ॥६॥ एकहि दिवसें जाउ उम्माइड। कम-सपल थिउ णा हिमाहउ ॥७॥ वत्ता 'ते रह गय ते नाय ताउ जणेरिउ सो जि हउँ ते मिलिय स-किकर माइगर । पर ताउ ण दीसह एपर ॥४॥
SR No.090357
Book TitlePaumchariu Part 5
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy