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प.मील
तिणि विगबह तेस्धु जहि कोसल । पाह-मान्त घण-स्थग-मण्डल ॥१॥ साइड दिण्णउ मणु साहारिय । जिगवर-पदिम जेम जयकारिय ॥२॥ ताएँ वि दिण्णासीस मणोहर । 'जाव महा-समुह मन्महीहर ॥१॥ धाइ धरति जाव सयरायर | भाव मेरु णा चन्द-दिवायर ॥1 जाव दिसा-गहन्द गह-मण्डलु। जाव सुरेहि समाणु आहण्डल ॥५॥ जाव वहन्ति माहाणइ-वसई। जाच सवन्ति गरण पावरष सई॥६॥ ताव पुत्त तु? सिय अणुहलहि। सीयाएवि पद टु उहि ।।७।। सक्खणु होउ नि-मण्ड-पहाणड। मरहु अउज्झा-मण्डल राण' ||८||
पत्ता कइकह केशब-सुप्पहउ तिष्णि वि पुणु तिहि अहिगन्दियट । मेरो जिण-पदिमाउ जिह स इन्द-परिन्दहि धन्दिपउ ।।९।।
[-] हरि-इलहरेंहि तेस्थु अच्छतेहिं । वह हि षासरेहि गडहि ॥१॥ मरहहाँ राय-लरिछ मागम्तहाँ। तन्तावाय वे वि जाणतहों ।।२॥ विविह-सत्ति-घउ-विजापन्तहों। पञ्च-पयार मन्तु मम्तन्तहों ॥३॥ छग्गुषणड असेसु जुज्जन्तहाँ। तह सत्ता रज्जु भुञ्जन्तहों ।।४।। बुद्धि-महागुण-अट्ट वहन्तहों। इसमें माएं पय पालम्तहों ॥५॥ वारह-मण्डल-चिन्त करम्सहो। अट्ठारह तिरथ रफ्षम्तहाँ ॥६॥ एकहि दिवसें जाउ उम्माइड। कम-सपल थिउ णा हिमाहउ ॥७॥
वत्ता
'ते रह गय ते नाय ताउ जणेरिउ सो जि हउँ
ते मिलिय स-किकर माइगर । पर ताउ ण दीसह एपर ॥४॥