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परमचरिड
पत्ता
दण्डासहिद कियन्तु लुहउ लोह पिसुण-यणहाँ । रनर, जि. साधु को कारवाहीं ॥९॥
[ ] संणि पुणे वि रावणु तुट-मशु । सञ्चलिउ भारिबहाँ भषण || १॥ पच्छण्णु परिहित पषर-भुउ। सहुँ कन्तएँ सो वि चवन्तु सुड ॥२॥ 'कल्ला सोणिय-सम्मजणएँ। पइम्मेवउ म, रण-मजण' ॥३॥ रह-पन वशिद्धय-गन्धामला। घर असिवर कढ़ा-थामलऐं ॥४॥ पगारवर-विहुरा-मङ्गकरणें । जस-उध्यण यहु-मळ-हरणे ॥५|| अपलरिछ-हरिद-विहूलियम्। समाज कुण्ड-पदासिया ॥६।। परवल जलो मेलाविया । पहरण-दग्गि -सन्ताचिय' ॥७॥ भूगोयर-रुहिर-सोम भरि। असिंधारा-शियरें पविस्थारिएँ ।।४।।
बइस वि करि-सिर-वी जण ण हुक फतें
पत्ता पहामि पर णीसउ । जन्में वि अयस कलउ' |२||
[८] संगमुणे वि वयणु अदयावतु | सुअ-सारणह घर पर रावणु ।।।।
के चुन गुरउ णिय-महें। 'कल्ला घम कन्त रग-सेज हैं ॥३॥ भुभाग-त्तग्रहीं मझे किसानहूँ । चाउरङ्ग साहण-नउपायहें ।।३।। गयवर-गन्न पईहर-गत्तहै। अन्त-न्द्र लन्त-मुम्ब-सञ्जन ।।४।। हा-हाह-विच्छत्थरियह। कार-कुम्भावहाण-वियरियाँ ।।५|| जस-पाय-हस्थिणिया-रुड़ह । वारण-मसवारणालीदहें' ॥६॥