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एकुणस टिमो संधि [८] मधुमय, अर्ककीर्ति, शार्दूल, सिंहनाद, चंचल, चटुल, चपल, चल, चोल, भीमकाय, हस्त, विहस्त, प्रहस्त, महस्त, सुस्त, सुहस्त, सुमत्स, प्रशस्त, दारुण, रुद्र, रौद्र, णिधोर, हंस, प्रईस, किरीती, किशोर, मन्दिर, मंदर, मेरु, मयस्त्र, गन्ध, विमर्दन, रुच्छ, विहस्त, अन्य, महार्णव, गण्य, चिगण्य, धोरिय, धीर, घुरन्धर, धन्य, भीम, भयानक, भीमचिनाद, कर्दम, कोप, कदम्ब, कषाय, कंचन, कोंच, विकोंच, पवित्र, फोमल, कोन्त, चित्र, विचित्र, माधव, माह, महोदर, मेघ, पादप, वादप, चारुणदेह, सिंह विचंभित, कुंजरलीला, विभ्रम, हंस-विलास, सुशील आदि राजा भी निकल पड़े । मल्हण, लहहोल्लास, उल्हावण, पत्त, प्रमत्त, शत्रु-सन्तापन आदि तथा दूसरे राजा भी निकल पड़े। उनके महारथों में हाथी थे और पताकाओं में भी हाथी ही अंकित थे ॥१-१०॥
[९] शंख, प्रशंख, रक, भिनाजन, प्रभाग, पुष्कर, पुष्पचूख, घण्टायुध, प्रभाग, पुष्पश्रवण, पुष्पाक्षर, पुष्पोदर, पुष्पध्वज, भ्रमर, बम्माह, कुसुमायुध, कुसुमसर, मकरध्वज, मकरध्वजप्रसर, मदनाचल, मदनराशि, सुषमा, वरकामावस्था, कामकुसुम, मदनोदय, मदनोदर, अमय ये राजा अश्वरथों पर थे, और इनकी पताकाओंपर मी, अश्व अंकित थे। अन्य राजा मगों, सामरों, वृषभ, मेष, महिष, खर और सूअरों, शशधर, शल्यक, विषधरों, सुंसुमार, मकर और मत्स्यधरोपर, चल पड़े। और दूसरे राजा, अपने हाथों में पहाड़ों और वृक्ष, आग, पारुण,