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________________ १६ पउमचरिउ [6] मामह-नक सि-सदृल-मीहणाया । पञ्चल-चठ्ठल-चवल-चल-धील-मीमकाया ||३( हेलावुवई) हत्य-विहस्थ-पहाथ-माहत्या । मुस्थ-सुहस्थ-मुमस्थ-पसत्था ॥२॥ दारुण-कर-उद-णिधोरा। हंस-पास-किरीडि-किसीरा ॥३॥ मन्दिर-मन्दर-मरु-मयरथा । गन्धविमरण-रुच्छ-विहल्या ॥४॥ अरण-महण्णव-गण-दिगण्णा। घोषिय-वीर-धुरन्धर-वण्णा ॥५॥ मोम-मग्राणय-माणगाया । काम-कोव-यम्ब-कसाया ॥६॥ कण-को-यिकोच-पवि। कोमल-कोन्तम-विस-विचिता ॥७॥ माय-माह-महोअर-महा।। पायव-वायत्र-वारुण-दहा ॥4॥ सीहबिम्भिय-कुक्षरलोला । चिटमम-हंसविलास-सुसीला ॥९॥ (दोद्धकं णाम आन्दो) घत्ता मल्हण लदहोल्हास-उल्हावण, पस-पमत-सत्सन्ताषण । एम्ब णगहिव अगा घिणिगय । हस्थि-महारह हरिथ-महाधय ॥1॥ स-पसङ्ख-त-मिपक्षण-पहला । पुक्तर-पुष्फयूड-घण्टाउह-प्पिहना ॥१॥ ( हेलानुबई ) पुण्फासवाण-पुप्फक्खयरा । फुल्लोअर-फुल्लन्धुअ-भमरा ॥२॥ पम्मह-कुसुमाठह-कसुमसरा । मयरय-मयानुषपसा ॥३॥ मयणाणल-मयणारसि-सुसमा 1 घरकामावस्थ-कामकुसुमा ॥ मयणोदय-मयणोयर-अमया । पए तुरामह सुरप-मया ॥५॥ अवरे वि के वि मिग-सम्बरहि । विस-मेस-महिस-पर-सूअरेहि ॥६॥ ससहर सल्लका-चिसहहिं । सुसुखर-मया-मरोह ि७॥ अवरे वि के पि गिरि-रक्त-धरा। इवि-वारुण्य-वायव-यज-करा ।।
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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